आरबीआई ने ब्याज दरों में नहीं किया बदलाव, रेपो-रिवर्स रेपो दर समान बरकरार
महंगाई दर के आकंड़ों के चलते संभव है आरबीआई सतर्कता बरतते हुए ब्याज दरों में कटौती न करे।
नई दिल्ली:
रिज़र्व बैंक ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो और रिवर्स रेपो दर समान ही बरकरार रखी है।
रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट दर 6.25 फीसदी और रिवर्स रेपो दर 5.75 फीसदी पर बरकरार रखी है। इससे पहले आरबीआई के ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम ही थी।
पेट्रोल-डीज़ल पर 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती के बाद ग्राहकों को कुछ राहत मिली हैं लेकिन क्या मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कटौती कर रिज़र्व बैंक भी राहत देगा। बुधवार को आने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में इस बार ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद बेहद कम है।
गौरतलब है कि नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों के बाद जीडीपी ग्रोथ दर दबाव में है और केंद्र सरकार आर्थिक नीतियों पर चौतरफा दबाव में घिरी हुई है। इस बीच ऐसी भी संभावना है कि सरकार गिरती विकास दर के चलते अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए राहत पैकेज ला सकती है।
हालांकि जहां तक रिज़र्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती का सवाल है उम्मीद है कि आरबीआई यह कटौती न करें। गौरतलब है कि सरकार का लक्ष्य वित्तीय घाटे को 3.2 फीसदी रखने का है। वहीं रुपये में गिरावट जारी है और जीडीपी 5.7 फीसदी तक गिर गई है।
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वहीं, महंगाई दर के आकंड़ों के चलते संभव है आरबीआई सतर्कता बरतते हुए ब्याज दरों में कटौती न करे।
बीती मौद्रिक नीति समीक्षा में रिज़र्व बैंक ने लंबे अंतराल के बाद ब्याज दरों में कटौती की थी। अगस्त की हुई नीति समीक्षा में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर 6 फीसदी रखा था।
इसके बाद मंहगाई दर 3.36 फीसदी हो गई थी। ऐसे में जबकि पेट्रोल-डीज़ल और सीएनजी के दामों में पहले से ही तेज़ी के चलते अर्थतंत्र पर दबाव है उम्मीद है कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती न करे और इसे मौजूदा स्तर पर ही बरकरार रखे।
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जानकारों की राय मानें तो एसबीआई की एक रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी मौद्रिक नीति में ब्याज दरें समान स्तरों पर बरकरार रहने की संभावना जताई गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक घटती विकास दर, महंगाई में कमी और वैश्विक अनिश्चितता के चलते मुश्किल है कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती करे।
वहीं, मॉर्गन स्टेनली की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, 'हमें आशा है कि बढ़ती महंगाई और इसमें और तेज़ी के अंदेशे के चलते आरबीआई आने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा। ताकि महंगाई में और तेज़ी पर लगाम लगाई जा सके।'
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