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RBI Credit Policy : रुपए पर रिजर्व बैंक की नजर, EMI बढ़ने का खतरा भी टला

RBI ने अपनी Credit Policy ब्याज दरों (Interest rates) में कोई बदलाव नहीं किया है. बाजार के अनुमान के उलट आरबीआई (RBI) ने सभी पॉलिसी दरों (policy rates) को अपरवर्तित रखा है.

Updated on: 05 Oct 2018, 05:03 PM

नई दिल्‍ली:

RBI ने अपनी Credit Policy ब्याज दरों (Interest rates) में कोई बदलाव नहीं किया है. बाजार के अनुमान के उलट आरबीआई (RBI) ने सभी पॉलिसी दरों (policy rates) को अपरवर्तित रखा है. रेपो रेट (Repo rate) को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया है वहीं रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) 6.25 फीसदी पर बनाए रखा गया है. इसके चलते अब लोगों की लोन की EMI बढ़ने का खतरा टल गया है. वहीं रुपए को लेकर आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल (RBI governor Urjit Patel) ने कहा कि अभी भी डॉलर (dollar) के मुकाबले रुपया (Rupee) रियल एक्सचेंज इफेक्टिव रेट में केवल 5 फीसदी ही कमजोर हुआ है और यह पूरी तरह से मांग और सप्लाई की वजह से है. फिर भी RBI की एक्‍सचेंज रेट पर है.

GDP का लक्ष्य बरकरार

RBI ने ग्रोथ को लेकर चिंता जताई है. रिजर्व बैंक ने अपने रुख में बदलाव किया है. आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019 में GDP ग्रोथ लक्ष्य 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है. आरबीआई के मुताबिक जुलाई-सितंबर में महंगाई दर 4 फीसदी और अक्टूबर-मार्च में 3.9-4.5 फीसदी रहने का अनुमान है. अप्रैल-जून 2019 में महंगाई दर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है.

रुपए की गिरावट चिंता का का विषय नहीं

आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि फॉरेक्स मार्केट में उठापटक और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से महंगाई को लेकर चिंता हो सकती है. हालांकि आरबीआई को कमजोर रुपये से कोई खास चिंता नहीं है.

मॉनिटरी कमेटी के सदस्‍य

-भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल

-बैंक के डिप्‍टी गवर्नर विरल आचार्य

-आईएसआई के प्रोफेसर चेतन घाट

-निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स पामी दुआ

-प्रोफेसर, भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद डॉ रविंद्र एच ढोलकिया

-डॉ माइकल देबब्रत

एक सदस्‍य रेपो रेट बढ़ाने के पक्ष में थे

माॅनिटरी कमेटी के 6 सदस्‍यों में केवल चेतन घाटे ही रेपो रेट 0.25 फीसदी बढ़ाने के पक्ष में थे. बाकी सदस्‍य ने यथास्‍थिति को बनाए रखने के पक्ष में वोट दिया.

आगामी बैठक दिसंबर में

मॉनिटरी पॉलिसी की अगली बैठक आगामी 3 से 5 दिसम्‍बर 2018 को होगी.

रेपो रेट (Repo rate)

रेपो रेट (Repo rate) वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई (RBI) कर्ज (loan) देता है. बैंक (Bank) इस कर्ज से ग्राहकों को लोन (loan) देते हैं. रेपो रेट (Repo rate) कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे. जैसे कि होम लोन (Home Loan), व्हीकल लोन (Auto loan) वगैरह.

रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate)

जैसा इसके नाम से ही साफ है, यह रेपो रेट से उलट होता है. यह वह दर होती है जिस पर बैंकों (Bank) को उनकी ओर से आरबीआई (RBI) में जमा धन पर ब्याज (Interest rates) मिलता है. रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है. बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) बढ़ा देता है, ताकि बैंक (Bank) ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दे.

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सीआरआर (CRR)

देश में लागू बैंकिंग नियमों के तहत हरेक बैंक (Bank) को अपनी कुल नकदी का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होता है. इसे ही कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) या नकद आरक्षित अनुपात कहते हैं.

एसएलआर (SLR)

जिस दर पर बैंक अपना पैसा सरकार के पास रखते है, उसे एसएलआर (SLR) कहते हैं. नकदी की तरलता को नियंत्रित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. कमर्शियल बैंकों को एक खास रकम जमा करानी होती है जिसका इस्तेमाल किसी इमरजेंसी लेन-देन को पूरा करने में किया जाता है. आरबीआई (RBI) जब ब्याज दरों (Interest rates) में बदलाव किए बगैर नकदी की तरलता कम करना चाहता है तो वह सीआरआर (CRR) बढ़ा देता है, इससे बैंकों के पास लोन (Loan) देने के लिए कम रकम बचती है.