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एक बार फिर संकट मोचक की भूमिका में रेल मंत्री पीयूष गोयल, पेश करेंगे अंतरिम बजट

अब यह तय हो गया है कि अरुण जेटली अंतरिम बजट के समय उपलब्‍ध नहीं होंगे और उनके बदले पीयूष गोयल अंतरिम बजट पेश करेंगे. उन्‍हें वित्‍त मंत्रालय का अतिरिक्‍त प्रभार दिया गया है.

Updated on: 24 Jan 2019, 09:29 AM

नई दिल्ली:

कई दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि अंतरिम बजट कौन पेश करेगा. वित्‍त मंत्री अरुण जेटली के अमेरिका में किडनी संबंधी बीमारी की जांच के लिए जाने के बाद से ही अंतरिम बजट से पहले उनके आने पर संशय के बादल मंडरा रहे थे. अब यह तय हो गया है कि अरुण जेटली अंतरिम बजट के समय उपलब्‍ध नहीं होंगे और उनके बदले पीयूष गोयल अंतरिम बजट पेश करेंगे. उन्‍हें वित्‍त मंत्रालय का अतिरिक्‍त प्रभार दिया गया है.

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पिछले साल 14 मई 2018 को अरुण जेटली का दिल्ली के एम्स में किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. उस दौरान भी काफी दिनों तक वो अस्पताल में भर्ती थे और वित्त मंत्रालय का कामकाज पीयूष गोयल ही देख रहे थे. जेटली ने 23 अगस्त 2018 को वित्‍त मंत्रालय का कामकाज संभाला था. यह दूसरी बार है, जब जेटली की गैरमौजूदगी में वित्त मंत्रालय का प्रभार पीयूष गोयल को मिला है. वैसे पीयूष गोयल को मोदी सरकार का संकटमोचक कहा जाता है. उनके पास पहले से ही दो अहम-कोयला और रेल मंत्रालय का भार है और अब वित्‍त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिल गया है.

ऊर्जा मंत्री के रूप में छोड़ी अपनी छाप
रेल हादसों की वजह से तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु को मंत्रालय छोड़ना पड़ा तो पीयूष गोयल को रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी. तब से गोयल ही रेल मंत्रालय संभाल रहे हैं. गोयल के कार्यकाल में रेलवे के अंदर कई बदलाव देखने को मिले. मोदी सरकार में पीयूष गोयल ने ऊर्जा मंत्री के तौर पर अपना काम शुरू किया था. इनके कार्यकाल में ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आया. तय समय में देश के 18000 गांवों का विद्युतीकरण गोयल की बड़ी उपलब्धि रही. गोयल ने केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना और ऊर्जा के क्षेत्र में सबसे बड़े सुधार 'उदय योजना' को सफलतापूर्वक लागू कराया और गांव के घर-घर तक बिजली पहुंचाने का काम किया.

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लोहा मनवाकर पीएम को भरोसेमंद हो गए
इसके अलावा पीयूष गोयल ने कोयले की कमी से जूझ रही बिजली कंपनियों को अपने हुनर से उबारा. वहीं हमेशा घोटालों की मार झेल रहे कोयला आवंटन को ई-ऑक्शन के जरिए पारदर्शी बनाने का काम किया. पीयूष गोयल ने कोयला और रेल मंत्रालय में अपने कामों से लोहा मनवाया है. आज की तारीख में गोयल पीएम मोदी के भरोसेमंद मंत्रियों में से एक हैं.

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आर्थिक मामलों में गोयल को महारत
वित्तीय मामलों में गोयल को महारत हासिल है. सबसे पहले उन्‍हें पार्टी में राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष की भूमिका दी गई थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. वहीं 2014 के आम चुनावों के दौरान बीजेपी के प्रचार और सोशल मीडिया प्रसार की जिम्मेदारी भी गोयल के कंधों पर ही थी. फिलहाल 54 साल के पीयूष गोयल राज्यसभा सदस्य हैं और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं. पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट पीयूष गोयल प्रबंधन के मुद्दों पर कई बड़ी कॉरपोरेट संस्थाओं के सलाहकार भी रहे हैं.

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संघ और बीजेपी से पुराना नाता
पीयूष गोयल के परिवार का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से पुराना नाता रहा है. गोयल के दिवंगत पिता वेद प्रकाश गोयल खुद दो दशकों तक बीजेपी के कोषाध्यक्ष रहे थे और केंद्र की तत्कालीन अटल सरकार में जहाजरानी मंत्री थे. यही नहीं, पीयूष गोयल की मां चंद्रकांता गोयल भी मुंबई से 3 बार विधायक रही हैं.