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पॉपुलिस्ट नहीं होगा 2018 का आम बजट, वोट बैंक के लिए काम नहीं करती मोदी सरकार: नीति आयोग

अगले आम चुनाव और उससे पहले कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर 2018 के आम बजट के लोकलुभावनकारी (पॉपुलिस्ट) होने की खबरों का खंडन करते हुए नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलेगा।

Updated on: 08 Jan 2018, 10:25 PM

highlights

  • नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलेगा।
  • कुमार ने कहा कि देश का अगला बजट कहीं से भी पॉपुलिस्ट नहीं होने जा रहा है, जैसा कि लोग सोच रहे हैं

नई दिल्ली:

अगले आम चुनाव और उससे पहले कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर 2018 के आम बजट के लोकलुभावनकारी (पॉपुलिस्ट) होने की खबरों का खंडन करते हुए नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलेगा।

कुमार ने कहा कि देश का अगला बजट कहीं से भी पॉपुलिस्ट नहीं होने जा रहा है, जैसा कि लोग सोच रहे हैं।

गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी की सरकार का यह आखिरी फुल बजट है और मीडिया में इस तरह की खबरें आ रही है कि इस बजट में राजनीतिक कारणों को ध्यान में रखा जाएगा।

कुमार ने हालांकि कहा कि बजट में सिर्फ आम आदमी के हितों का ही ख्याल रखा जाएगा।

न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं पूरे विश्वास के साथ यह बात कह सकता हूं। इस सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह खासियत रही है कि उन्होंने कभी भी लोकलुभावनकारी बजट पेश नहीं किया।'

कुमार ने कहा, 'मोदी सरकार अन्य सरकार की तरह वोट पाने के लिए बजट पेश नहीं करती है और इस बार भी आपको यही उम्मीद करनी चाहिए। मैं मानता हूं कि इस बजट में उन क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा, जिसमें हमारी आबादी के हितों का ध्यान रखा जाएगा।'

कुमार ने कहा कि इस बजट में स्वास्थ्य सेवाएं, प्राथमिक शिक्षा, कृषि, कृषि क्षेत्र से जुड़े बुनियादी ढांचे पर ध्यान दिया जाएगा।

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इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 जनवरी को देश के 30 शीर्ष अर्थशास्त्रियों से मिलने जा रहे हैं। इस बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, वाइस चेयरमैन राजीव कुमार और आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।

गौरतलब है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों से ठीक पहले औद्योगिक संगठन एसोचैम ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि आने वाले दिनों में भारतीय कारोबारी जगत को किसी बड़े आर्थिक सुधार की उम्मीद नहीं लगानी चाहिए।

एसोचैम की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि 2018 में गुजरात समेत देश के अन्य प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनावों के खत्म होने के बाद भारतीय कारोबारी जगत को राजनीतिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखना होगा।

इसमें कहा गया है कि इन दोनों चुनावों के नतीजों का असर न सिर्फ सरकार के आर्थिक फैसलों पर होगा, बल्कि आगामी बजट पर भी होगा, जो एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का अंतिम पूर्ण बजट होगा। 2019 में अगला लोकसभा चुनाव होना है, जिसे लेकर देश के प्रमुख दलों ने अपनी कमर कस ली है।

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