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मोदी सरकार का बेरोजगारी पर बड़ा फैसला, ठेले और रेहड़ी वालों का होगा आर्थिक सर्वेक्षण

बढ़ती बेरोजगारी और नौकरियों के संकट पर घिरी मोदी सरकार यह सर्वेक्षण पहली बार ठेले, रेहड़ी, और अपना रोजगार करने वाले लोगों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए कराएगी.

Updated on: 05 Jun 2019, 12:49 PM

नई दिल्ली:

मोदी सरकार देश में रोजगार को लेकर जल्द ही एक नया सर्वे करवाएगी. बढ़ती बेरोजगारी और नौकरियों के संकट पर घिरी मोदी सरकार यह सर्वेक्षण पहली बार ठेले, रेहड़ी, और अपना रोजगार करने वाले लोगों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए कराएगी. सूत्रों के अनुसार आर्थिक सर्वेक्षण जून के आखिरी हफ्ते में शुरू होगा. सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि आर्थिक सर्वेक्षण के पीछे मकसद है कि देश में सात करोड़ असंगठित रोज़गारों की स्थिति जनवरी, 2020 तक यानी छह महीने में साफ हो जाए. सरकार इन आंकड़ों के आधार पर रोज़गार को लेकर भविष्य की रणनीति तैयार करेगी.

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यह सातवां आर्थिक सर्वेक्षण होगा, लेकिन यह सर्वेक्षण अपने आप में अनूठा होगा. पहली बार स्वरोजगार, चाहे वो किसी भी रूप में हो, उसकी गणना की जाएगी और पूरे देश के सामने पेश किया जाएगा. रोजगार को लेकर अमूमन हर सरकार विपक्ष के निशाने पर रहा है. मोदी सरकार 1.0 भी इससे अछूता नहीं रहा. इसलिय मोदी सरकार 2.0 ने इसको लेकर हो रही सियासत को खत्म करने का फैसला लिया. अब हर उस शख्स की आर्थिक गणना होगी जो अपने पैर पर खड़ा है. 

अभी तक सरकारी नौकरी को ही रोजगार मानने वाले को पता चल जाएगा कि देश में रोजगार की स्थिति क्या है. साथ ही सरकार के पास भी पुख्ता डाटा आ जाएगा कि कौन और कितने लोग  रोजगार से मरहूम हैं. इसके लिए राज्यों से भी डाटा मांगा गया है. आर्थिक सर्वेक्षण को बिल्कुल जनसंख्या गणना की तरह पूरा किया जाएगा.

इस सर्वेक्षण के लिए 12 लाख सर्वेक्षणकर्ताओं को ट्रेनिंग देकर तैयार कर लिया गया है. उनको इसके लिए एक परफोर्मा दिया जाएगा. उसके आधार पर डाटा तैयार कर रोजगार की सही स्थिति के बारे में पता चल पाएगा. 12 लाख सर्वेक्षणकर्ताओं की रिपोर्ट को NSSO के अधिकारी आकलन करेंगे. इसमें राज्य सरकार और MSME के अधिकारियों की भी सहायता ली जाएगी.