सुशील कुमार मोदी ने कहा- 28 फीसदी जीएसटी दायरे में अब होंगे सिर्फ 50 आइटम
कांग्रेस ने पेट्रोल, डीज़ल, नेचुरल गैस, एटीएफ और क्रूड ऑइल को जीएसटी टैक्स ढांचे में लाने की मांग की है। शराब के अलावा यह पांच आइटम टैक्स दर के बाहर है।
नई दिल्ली:
जीएसटी काउंसिल की बैठक में 28 फीसदी जीएसटी दायरे में 227 वस्तुओं की जगह अब सिर्फ 50 आइटम ही रखे गए हैं। यह बात बिहार के उपमुख्यमंत्री और जीएसटी परिषद के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कही है।
जीएसटी काउंसिल ने ऑफ्टर शेव, चॉकलेट्स, च्विंइग गम, डिओडरेंट, वॉशिंग पाउडर, डिटर्जेंट और मार्बल जैसे आइटम्स को 28% के दायरे से घटा कर 18% के दायरे में ला दिया है।
जीएसटी काउंसिल ने मौजूदा आइटम्स की लिस्ट में कटौती करते हुए अब इसमें सिर्फ 50 लग्ज़री आइटम को रखा है।
इससे पहले कांग्रेस शासित राज्यों ने नए कर ढांचे में बदलाव करते हुए ज़्यादातर इस्तेमाल वाली रोज़मर्रा की चीज़ों को 18 फीसदी जीएसटी दायरे में रखने की मांग की थी। साथ ही कांग्रेस ने पेट्रोल, डीज़ल, नेचुरल गैस, एटीएफ और क्रूड ऑइल जैसी वस्तुओं को भी जीएसटी में लाने की मांग की थी।
Almost 227 items were there in 28% GST slab, now only 50 remain, which are mostly luxury items, rest have been put in 18%: Sushil Kumar Modi, Bihar Dy CM #GSTCouncilMeet pic.twitter.com/bjds4iVEJT
— ANI (@ANI) November 10, 2017
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी की 23वीं बैठक शुक्रवार को जारी है। इस बैठक के बाद आने वाले नतीजों पर कई लोगों की नज़रे टिंकी हुई थी।
साथ ही उम्मीद की जा रही है कि बैठक में वित्त मंत्री जीएसटी दरों की ख़ामियो के साथ ही आसान रिटर्न फाइलिंग और स्मॉल एंड मिडियम एंटरप्राइज़ेज को राहत देने का ऐलान करेंगे।
असम के वित्त मंत्री बिस्वा सरमा के नेतृत्व में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में कंपोज़िशन स्कीम के तहत कारोबारियों को 1 फीसदी की राहत और नॉन-एसी रेस्टोरेंट की टैक्स दरों में कमी वाले सुझाव पर विचार किया जा सकता है।
साथ ही राज्यों के वित्त मंत्रियों वाला समूह जीएसटी रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया पर भी विचार करेगा और इसे टैक्सपेयर फ्रैंडली बनाया जाएगा।
पिछली बैठक में यह चीजें हुईं थी सस्ती
बीते महीने (6 अक्टूबर) को हुई जीएसटी की बैठक में परिषद ने छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुए हर महीने दाखिल किए जाने वाले रिटर्न की जगह तीन महीने में रिटर्न भरे जाने की मांग को मंजूरी दे दी थी।
इसके अलावा बैठक में जेम्स, ज्वैलरी और अन्य महंगे सामानों के कारोबार में शामिल कंपनियों को बड़ी छूट दी गई थी।
कंपाउंडिंग स्कीम के तहत 75 लाख रुपये के टर्नओवर की सीमा को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया था। जिसके बाद ऐसे कारोबारियों को अब 3 महीने पर कुल बिक्री का 1 फीसदी कर जमा कर रिटर्न दाखिल कर सकने की बात कही थी।
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