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GST 2017: 1 जुलाई को एक बार फिर संसद भवन बनेगा आज़ादी का गवाह!

1 जुलाई 2017 को देश की आज़ादी के 70 साल बाद पहली बार एक बार फिर संसद भवन साक्षी बनेगा एक और आज़ादी का, जटिल कर प्रक्रियाओं से आज़ादी का।

Updated on: 29 Jun 2017, 12:22 PM

नई दिल्ली:

साल 1947, दिन 14 अगस्त, रात 12 बजे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु का वो भाषण जो राजधानी दिल्ली के संसद भवन में गूंजा, जिसे सुनने के लिए पूरा देश सांसें थामे रेडियो से चिपके हुए बैठा था।

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के वो शब्द जिसने देश को इत्तला किया कि वर्षों से चल रहे उसके संघर्ष को विराम मिल गया है और देश ब्रिटिश राज से आज़ाद हो गया है।

14 अगस्त रात 12 बजे संसद भवन से पूर्व प्रधानमंत्री जवालर लाल नेहरु का भाषण -

At the stroke of the midnight hour, when the world sleeps, India will awake to life and freedom. A moment comes, which comes but rarely in history, when we step out from the old to new, when an age ends, and when the soul of a nation, long suppressed, finds utterance.

(आज रात बारह बजे, जब सारी दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता की नयी सुबह के साथ उठेगा। एक ऐसा क्षण जो इतिहास में बहुत ही कम आता है, जब हम पुराने को छोड़ नए की तरफ जाते हैं, जब एक युग का अंत होता है, और जब वर्षों से शोषित एक देश की आत्मा, अपनी बात कह सकती है।)

ठीक ऐसा ही मंजर दोबारा होगा 1 जुलाई 2017 को, देश की आज़ादी के 70 साल बाद पहली बार एक बार फिर संसद भवन साक्षी बनेगा एक और आज़ादी का, जटिल कर प्रक्रियाओं से आज़ादी का। 

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संसद भवन के सेंट्रल हॉल से 30 जून रात 11-12.10 तक चलने वाले ख़ास कार्यक्रम से आगाज़ होगा देश के सबसे बड़े कर सुधार, जीएसटी का....

इस ऐलान के बाद पुरानी, कमज़ोर और जटिल कर प्रक्रियाओं को आसान कर सुगम टैक्स प्रक्रिया को लागू किया जाएगा और 1 जुलाई की सुबह पूरा देश, 'एक देश एक टैक्स एक मार्केट' में तब्दील हो जाएगा।  

30 जून 2017, संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी अंदाज में आधी रात को देश को संबोधित कर अब तक के सबसे बड़े कर सुधार 'जीएसटी' का आगाज़ करेंगे। 

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हालांकि इन दोनों वाकयों में समानता यह है कि एक बार फिर संसद भवन एक और आज़ादी का गवाह बनेगा, लेकिन यह आज़ादी होगी सिस्टम की पुरानी व्यवस्था से निकल एक नई व्यवस्था की ओर बढ़ने की।

14 अगस्त 1947, आधी रात 12 बजे पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू गांधी की इस स्पीच ने देश को उस आज़ादी का अहसास कराया जिसके इंतज़ार में सालों का संघर्ष था। उसके बाद आज तक आज़ादी के 70 सालों में अब ऐसा पहली बार होगा जब देश आर्थिक आज़ादी की दिशा में एक नई व्यवस्था की ओर बढ़ेगा।

इस ऐतिहासिक ऐलान का देश के लोगों को बेसब्री से इंतज़ार होगा, जब देश करों में जकड़ी पुरानी व्यवस्थाओं से निकल नए टैक्स ढांचे में कदम रखेगा। हालांकि इस नई कर व्यवस्था पर भी अभी सवाल है।

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विपक्षी खेमा भी नाराज़ है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो इस कार्यक्रम में शिरकत न करने का ऐलान कर दिया है। वहीं, देश में कारोबारियों और ट्रेडर्स की भी कुछ शिकायतें हैं जिसके चलते धरना प्रदर्शन भी किया जा रहा है। 

बावजूद इसके यह एक ऐसा ऐतिहासिक कदम है जिसका असर बड़े पैमाने पर देश में होगा। 

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