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दूसरी तिमाही में जीडीपी में बड़ी गिरावट, कमज़ोर रुपये के कारण 8.2 से 7.1 पर पहुंची

देश की सकल घरेलू उत्पाद दर में जुलाई-सितंबर की अवधि में गिरावट दर्ज की गई है. पिछले तिमाही में 8.2 फ़ीसदी दर लुढ़क कर 7.1 फ़ीसदी हो गया है.

Updated on: 30 Nov 2018, 07:06 PM

नई दिल्ली:

देश की सकल घरेलू उत्पाद दर में जुलाई-सितंबर की अवधि में गिरावट दर्ज की गई है. पिछले तिमाही में 8.2 फ़ीसदी दर लुढ़क कर 7.1 फ़ीसदी हो गया है. डॉलर के खिलाफ रूपये में आई गिरावट और ग्रामीण मांग में कमी, इस गिरावट के पीछे के दो मुख्य कारण है. वित्तवर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में हल्की गिरावट के बावजूद जीडीपी की वृद्धि दर पिछले वित्तवर्ष की समान तिमाही की तुलना में ज्यादा रही है. वित्तवर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 6.3 फीसदी रही थी.

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) दर जुलाई-सितंबर तिमाही में बढ़कर 6.9 फीसदी रही है, जो कि पिछली तिमाही की 8 फीसदी की तुलना में कम है. वित्तवर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में जीवीए की दर 6.1 फीसदी रही थी.

सीएसओ द्वारा जारी चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के अनुमान में कहा गया, 'आधार वर्ष 2011-12 के हिसाब से वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में जीडीपी कुल 33.98 लाख करोड़ रुपये रही, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में यह 31.72 लाख करोड़ रुपये थी.'

सीएसओ ने कहा, 'सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) दर जुलाई-सितंबर तिमाही में बढ़कर 6.9 फीसदी रही है, जोकि पिछली तिमाही की 8 फीसदी की तुलना में कम है. वित्तवर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में जीवीए की दर 6.1 फीसदी रही थी.'

जीवीए में करों को शामिल किया जाता है, लेकिन सब्सिडी को इसमें नहीं जोड़ा जाता है.

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भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में विकास दर 7.5 से 7.6 रहने का अनुमान लगाया था. देश के सबसे बड़े कर्जदाता ने अपनी इकोरैप रिपोर्ट 'एसबीआई कंपोजिट लीडिंग इंडिकेटर (सीएलआई)' में यह जानकारी दी है, जिसमें 21 प्रमुख संकेतकों की समीक्षा की जाती है.  रिपोर्ट में कहा गया, 'चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) विकास दर 7.3-7.4 फीसदी हो सकती है, जिसका प्रमुख कारण ग्रामीण मांग में गिरावट है.' जीवीए से राष्ट्रीय आय और उत्पादन को मापा जाता हैं, जिसमें कर और सब्सिडीज भी शामिल होती है.