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डूब चुके बैंक कर्ज की वापसी नरेंद्र मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती, पढ़ें पूरी खबर

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 190 अरब डॉलर के डूब चुके बैंक कर्ज की वापसी मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान एक बड़ा रिफॉर्म होगा.

Updated on: 07 Jun 2019, 12:55 PM

highlights

  • पिछले 5 साल के दौरान देश की अर्थव्यस्था धीमी गति से आगे बढ़ी है
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा ध्यान अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का है
  • कर्ज ना चुकाने वालों की वजह से मार्केट के विस्तार पर अंकुश लग गया है

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) का पूरा ध्यान अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का है. बता दें कि पिछले 5 साल में देश की अर्थव्यस्था धीमी गति से आगे बढ़ी है. वहीं अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए 190 अरब डॉलर के डूब चुके बैंक कर्ज की वापसी मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान एक बड़ा रिफॉर्म होगा.

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नकारात्मक क्रेडिट ग्रोथ साल के ऊपरी स्तर पर पहुंची
कर्ज ना चुकाने वालों की वजह से मार्केट के विस्तार पर अंकुश लग गया है. हाल के महीने में उपभोक्ता खर्च काफी प्रभावित हुआ है. गैर-निष्पादित ऋण (non-performing loans) की वजह से बैंकों पर काफी नकारात्मक असर पड़ा है जिसकी वजह से नकारात्मक क्रेडिट ग्रोथ साल के ऊपरी स्तर पर आ गई है. जानकारों का कहना है कि निजी निवेश और उपभोक्ता खर्च को शुरू करने के लिए उधारदाताओं को पुनर्जीवित करना आवश्यक है.

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मौजूदा कार्यकाल में सुधार कार्यक्रम जारी रखना चुनौती
निवेशकों को उम्मीद है कि मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान जो सुधार कार्यक्रम शुरू किए थे वो इस कार्यकाल में पूरा करेंगे. बता दें कि भारत ने समयबद्ध दिवालियापन प्रक्रिया कानून की शुरुआत की थी, सबसे बड़े डिफॉल्टरों से संपत्ति छीनकर और उन्हें बेचकर व्यवसायिक समुदाय को नोटिस भेजा था. सरकार के ढाई साल पुराने कानून ने बैंकों को खराब कर्ज वसूली की दर और गति में सुधार करने में मदद मिली है. इस कानून से पहले लंबे समय तक अदालती लड़ाइयों ने लेनदेन में देरी की और कुछ विदेशी निवेशकों को परेशान भी किया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार मार्च तक करीब एक तिहाई दिवालियापन मामले कानून द्वारा निर्धारित 270 दिन की समय सीमा से अधिक थे.

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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन रजनीश कुमार के मुताबिक हमने प्रक्रिया को तेज गति से आगे बढ़ाने के लिए रास्ता खोज लिया है. देरी के बावजूद अबतक का जो रिजल्ट है वो सिस्टम के लिए अच्छा है. उनका कहना है कि दिवालिया कानून की समय-समय पर समीक्षा जरूरी है.