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मोदी सरकार ने किया 7 लाख करोड़ की सड़क परियोजना का ऐलान, मिलेगा 14 करोड़ दिनों का रोजगार

अर्थव्यवस्था की खराब आर्थिक हालत को लेकर चौतरफा आलोचनाओं का सामना कर रही केंद्र सरकार ने इंफ्रा सेक्टर में खर्च बढ़ाने और रोजगार के मौके पैदा करने के लिए मेगा इंफ्रा प्रोजेक्ट का ऐलान किया है, जिसे भारतमाला प्रोजेक्ट के पहले चरण के तहत पूरा किया जाएगा

Updated on: 24 Oct 2017, 06:26 PM

highlights

  • इंफ्रा सेक्टर में खर्च बढ़ाने और रोजगार के मौके पैदा करने के लिए केंद्र सरकार ने मेगा इंफ्रा प्रोजेक्ट का ऐलान किया है
  • गुजरात विधानसभा चुनाव में विपक्ष खराब आर्थिक हालात और बेरोजगारी के मसले को मुद्दा बनाकर मोदी सरकार को घेर रहा है

नई दिल्ली:

अर्थव्यवस्था की खराब आर्थिक हालत को लेकर चौतरफा आलोचनाओं का सामना कर रही केंद्र सरकार ने इंफ्रा सेक्टर में खर्च बढ़ाने और रोजगार के मौके पैदा करने के लिए मेगा इंफ्रा प्रोजेक्ट का ऐलान किया है, जिसे भारतमाला प्रोजेक्ट के पहले चरण के तहत पूरा किया जाएगा।

भारतमाला प्रोजेक्ट के पहले चरण के तहत सरकार 34,800 किलोमीटर सड़क का निर्माण करेगी, जिसमें 5,35,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।

वहीं हिस्टोरिक रोड बिल्डिंग प्रोग्राम के मुताबिक, 'अगले 5 वर्षों में 6 लाख 92 करोड़ रुपये की लागत से करीब 83,000 किलोमीटर हाईवे का निर्माण किया जाएगा, जिससे 14 करोड़ दिनों तक रोजगार के मौके मिलेंगे।'

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'आज इंफ्रास्ट्रक्चर पर जिस भारी-भरकम खर्च की घोषणा की गई है, उससे निजी क्षेत्र के जरिए होने वाले निवेश में मजबूती आएगी।'

भारतमाला प्रोजेक्ट मोदी सरकार की महत्वाकांक्षा परियोजना है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग विकास प्रोजेक्ट के बाद दूसरी बड़ी हाईवे परियोजना है और इसके तहत सीमाई और अन्य इलाकों में संपर्क सेवा बेहतर करने के लिए 50,000 किलोमीटर लंबी सड़का का निर्माण किया जाना है।

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक खर्च के साथ निजी निवेश को बढ़ाने के लिए उठाई जाने वाली नीतियों को सामने रखा। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार की योजना सार्वजनिक निवेश को बढ़ाने की रही है और इसे इंफ्रा खर्चे के जरिए पूरा किया जाएगा।

अर्थव्वयस्था की मजबूत बुनियाद

सरकार ने कहा कि पूंजीगत खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा इंफ्रास्ट्रक्चर में किया गया है और यह पहले छह महीने में खर्च के आंकड़ों को देखकर आसानी से समझा जा सकता है।

अर्थव्यवस्था को लेकर जारी व्यापक प्रेंजेंटश देते हुए सरकार ने कहा कि पिछले तीन सालों में महंगाई में व्यापक कमी आई है और पिछले एक साल में इसमें 2 फीसदी तक की कमी आई है और हमारी कोशिश इसे काबू में रखने की है।

वित्त मंत्री ने कहा, 'पिछले 3 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रही है। हमारी कोशिश इसे उसी दिशा में आगे रखने की है।' 

जीएसटी जैसे बड़े आर्थिक सुधार का नाम लिए बिना जेटली ने कहा, 'जब बड़े संरचनात्मक सुधार किए जाते हैं तब मीडियम और लॉन्ग टर्म में उसके लाभ अधिक होते हैं। पिछले महीने पहली तिमाही के आकंड़े आने के बाद मैंने कहा था जो भी चुनौती सरकार के सामने आती है उसके लिए हम तैयार रहेंगे। पिछले कुछ सप्ताह में अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार के भीतर काफी विचार-विमर्श किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल थे।'।

अर्थव्यवस्था की खराब हालत को लेकर जारी आलोचनाओं को खारिज करते हुए आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा कि सभी संकेत बता रहे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था का कायापलट हो रहा है और सरकार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी के 5.7 फीसदी हो जाने को लेकर सचिव ने कहा, 'जीडीपी ग्रोथ जल्द ही 8 फीसदी से अधिक होगा।'

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सरकार ने साफ किया कि रोड के अलावा रेलवे, आवास, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और बिजली के क्षेत्र में खर्च बढ़ा रही है, जिससे सार्वजनिक निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी और इसका सीधा फायदा रोजगार के मौके पैदा करने में मिलेगा।

गौरतलब है कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी के 6 फीसदी से भी नीचे फिसलने के बाद मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर हैं। कांग्रेस के वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी लगातार खराब आर्थिक हालात और रोजगार देने में विफलता को लेकर मोदी सरकार पर हमला करते रहे हैं।

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