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FDI पर घर के ही अंदर घिरी बीजेपी, यशवंत ने बताया पार्टी लाइन के खिलाफ लिया गया फैसला

एफडीआई के मुद्दे पर बीजेपी को विपक्ष के साथ ही अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा की भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

Updated on: 11 Jan 2018, 11:20 PM

नई दिल्ली:

एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के मुद्दे पर बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) को विपक्ष के साथ ही अपने घर में भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।

पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने कहा कि मोदी सरकार का यह फैसला पार्टी लाइन के विपरीत है और इससे देश के छोटे कारोबारियों को नुकसान होगा।

उन्होंने कहा, 'विपक्षी दल के नाते बीजेपी ने रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई का विरोध किया था। लेकिन सत्ता में आने के बाद बीजेपी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने इसे लागू कर दिया। यह देश के लिए अच्छा नहीं है। सिंगल ब्रांड रिटेल में 100 फीसदी एफडीआई लागू करने का फैसला छोटे कारोबारियों के लिए परेशानियां खड़ी करेगा।'

सिन्हा ने कहा कि आने वाला बजट बीजेपी सरकार का अंतिम बजट होगा लेकिन चार बजट बीत जाने के बाद भी देश का भविष्य कोई भी निर्धारित नहीं कर पाया। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था एक बड़ी चिंता का विषय है।

सिन्हा ने कहा, 'जब क्रूड ऑयल की कीमतें नियंत्रण में थी और कम थीं तब केंद्र ने इसका फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया। सरकार ने कई लाखों करोड़ रुपये इससे कमाए लेकिन देश को इन लाखों करोड़ों रुपयों का फायदा नहीं मिला।'

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यह बातें यशवंत सिन्हा ने किसानों के गदरवाड़ा शहर के नरसिंहपुर जिले में पावर प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लेने के दौरान कही। सिन्हा इससे पहले भी मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाते रहे है।

उन्होंने केंद्र सरकार पर बीजेपी के 2014 घोषणापत्र में किए वायदों को पूरा न करने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, 'मैं भी मैनिफेस्टो कमेटी का हिस्सा था। हमने घोषणा पत्र तैयार किया जिसे नरेंद्र मोदी ने भी देखा और उन्होंने कुछ बदलाव भी किए। वायदों के न पूरे किए जाने पर मैं भी दोषी महसूस करता हूं।'

सिन्हा ने मध्यप्रदेश में भी केंद्र सरकार पर 'भवंतर योजना' के लिए भी निशाना साधा।

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उन्होंने कहा, 'केंद्र भवंतर योजना को भी अगले बजट में लागू करने की योजना बना रही है। मैं हैरान था जब मुझे इस योजना के बारे में पता चला। यह योजना किसानों के उत्पीड़न के लिए है।'

भवंतर योजना में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य और फसल की 'मॉडल दर' (केंद्र और स्थानीय बाजार से कीमतों के आंकड़ों की गणना) के बीच का अंतर देने की जरूरत पड़ती है, अगर मॉडल दर कम है।

सिन्हा ने यह भी आरोप लगाया कि किसानों को फसल बीमा योजना के तहत 20 रुपये से भी कम मिलता है। उन्होंने कहा, 'यह किसानों का मज़ाक है।'

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