logo-image

बढ़ते आयात से देश का चालू खाता घाटा 4 साल के उच्चतम स्तर पर

देश के चालू खाते के घाटे (सीएडी) में आयात बढ़ोतरी के कारण वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में तेजी दर्ज की गई।

Updated on: 16 Sep 2017, 09:53 AM

नई दिल्ली:

जून की तिमाही में भारत के चालू खाता घाटे में चार साल की सबसे अधिक तेजी दर्ज की गई। यह घाटा 14.3 अरब डॉलर रहा जो कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 2.4% के बराबर है। यह 1 जुलाई से लागू होने वाले गुडस एंड सर्विस टैक्‍स से पहले सोने के आयात में रिकॉर्ड वृद्धि होने के कारण दर्ज की गई।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पिछले वित्त की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) की तुलना में चालू खाता घाटे में 3.4 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

यह भी पढ़ें: देश का निर्यात अगस्त में 10.29 फीसदी बढ़ा

आरबीआई ने कहा, 'देश के चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में 14.3 अरब डॉलर रहा, जो जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 2.4 फीसदी है, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 की पहली तिमाही में यह 0.4 अरब डॉलर था, जो जीडीपी का 0.1 फीसदी था। वहीं, वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही में यह 3.4 अरब डॉलर था, जो जीडीपी का 0.6 फीसदी है।'

बयान में कहा गया कि चालू खाते के घाटे में साल-दर-साल आधार पर बढ़ोतरी का मुख्य कारण बढ़ता व्यापार घाटा है, जो 41.2 अरब डॉलर है। देश में निर्यात की तुलना में लोग अधिक आयात कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें: भारत का विदेशी कर्ज 2.7 फीसदी घटकर 471.9 अरब डॉलर