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वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट डील के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में याचिका दायर

ई-कॉमर्स के क्षेत्र में होने वाली सबसे डील के खिलाफ कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) में याचिका दायर की है।

Updated on: 28 May 2018, 10:09 PM

highlights

  • वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट डील के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में याचिका
  • वॉलमार्ट ने करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये में फ्लिपकार्ट की 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का फैसला लिया है

नई दिल्ली:

ई-कॉमर्स के क्षेत्र में होने वाली सबसे डील के खिलाफ कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) में याचिका दायर की है।

वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट डील के खिलाफ दायर की गई याचिका में सीएआईटी ने कहा है कि अमेरिकी दिग्गज कंपनी वॉलमार्ट देश में गैर वाजिब प्रतिस्पर्धा का दौर ले आएगी। साथ ही इस डील से आपसी प्रतिस्पर्धा के लिए गैर बराबरी वाली स्थिति बनेगी, जो घरेलू कंपनियों के लिए ठीक नहीं होगी।

संगठन ने कहा कि इस सौदे से बाजार में मौजूद छोटे ट्रेडर्स पर असर पड़ेगा, जो ऑफलाइन क्षेत्र में अपना कारोबार करते हैं।

सीएआईटी ने कहा, 'दोनों कंपनियों का विलय गैर मुनासिब प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा और साथ ही प्रतिस्पर्धा के लिए जरूरी धरातल को खत्म कर देगा। यह कीमतों को लेकर जंग छेड़ देगा, जिसमें लोगों को ज्यादा डिस्काउंट दिया जाएगा।'

सीएआईटी ने दावा किया है कि फ्लिपकार्ट कई कंपनियों के साथ एक्सक्लूसिव गठजोड़ और प्रीफरेंशियल सेलर्स के साथ जुड़ाव के मॉडल पर काम करता है और इसमें ऑनलाइन वेंडर्स को भी भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

डील के बाद वॉलमार्ट अपने सामान को फ्लिपकार्ट के प्लेटफॉर्म पर बेचेगी और यह काम प्रीफर्ड सेलर्स की मदद से किया जाएगा।

संगठन ने कहा, 'यह गैर वाजिब प्रतिस्पर्धा को पैदा करेगा, जिससे ऑफलाइन और ऑनलाइन सेलर्स दोनों को नुकसान होगा।'

गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में वॉलमार्ट ने करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये में फ्लिपकार्ट की 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का फैसला लिया है।

इस डील के साथ ही अमेरिकी दिग्गज रिटेलर्स को भारतीय ऑनलाइन मार्केट में घुसने में मदद मिलेगी, जिसके अगले एक दशक में करीब 200 अरब डॉलर का होने का अनुमान है।

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