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जम्मू-कश्मीर में जीएसटी न लागू कराने पर सख़्त सीसीआई, केंद्र सरकार से तीखे सवाल

चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने जम्मू-कश्मीर में जीएसटी को एक जुलाई से लागू न करा पाने के लिए सरकार से सवाल किए हैं और चिंता जताई है। इस संबंध में बुलाई गई एक आपात बैठक बुलाई और इस मुद्दे पर अपनी चिंताई रखी।

Updated on: 29 Jun 2017, 09:38 AM

नई दिल्ली:

चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने जम्मू-कश्मीर में जीएसटी को एक जुलाई से लागू न करा पाने के लिए सरकार से सवाल किए हैं और चिंता जताई है। इस संबंध में बुलाई गई एक आपात बैठक बुलाई और इस मुद्दे पर अपनी चिंताई रखी।

सीसीई अध्यक्ष राकेश गुप्ता की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में अधिकारियों ने जम्मू-कश्मीर राज्य सरकार के जीएसटी पर गंभीरता न बरतने पर सवाल उठाए हैं। राकेश गुप्ता ने राज्य सरकार को कारोबार के लिए महत्वपूर्ण देश के सबसे बड़े कर रिफॉर्म जीएसटी पर फैसला न कर राज्य के कारोबारियों को गहरी अनिश्चितता के बीच छोड़ दिया है। 

इस संबंध में सीसीई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, बीजेपी राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी राम माधव और वित्त मंत्री अरुण जेटली को पत्र लिखकर चिंताएं जताई हैं और सवाल किए हैं।

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खत में कहा गया है कि यह दुर्भाग्यजनक है कि बीजेपी समर्थित राज्य सरकार जीएसटी को 1 जुलाई से लागू कराने के लिए केंद्र की सत्तारुढ़ पार्टी पर दबाव नहीं बना पाई है। इसे पूरे राज्य के कारोबारियों के लिए अनिश्चितता का माहौल है।

पत्र में लिखा है, 'हमें परेशानी महसूस हो रही है कि जम्मू-कश्मीर सरकार के राज्य में गठबंधन सत्तारूढ़ साथी रहा है। आपकी राज्य इकाई चुप है और राष्ट्र के साथ जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए खुले समर्थन में नहीं आ रही है।'

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सीईसी ने पत्र लिखने की वजह बताते हुए कहा, 'पिछली बार भी कई बार भाजपा की राज्य इकाई की चुप्पी ने चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ा था, बल्कि हमें जम्मू-बंद के लिए जाने के लिए मजबूर किया ताकि हम हमारी इच्छाओं के खिलाफ वास्तविक मांग कर सके।'

सीईसी ने केंद्र सरकार से इस संबंध में तुरंत और मज़बूत कदम उठाने की अपील की है।

सीईसी ने लिखा है, 'हम सरकार से खुद की भलाई के लिए अपील करते हैं कि आप तत्काल और जोरदार ढंग से हस्तक्षेप करें और राज्य की बीजेपी ईकाई को इस अवसर पर खड़े होने के लिए निर्देश दें। नहीं तो फिर चैंबर के पास देश के पक्ष में खड़े होने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होगा, न कि अलगाववादियों के पक्ष में।'

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