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केंद्र सरकार ने कर्ज की जरूरतों का किया पुनर्मूल्यांकन, घटाने की बनाई योजना

केंद्र सरकार के आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा है कि सरकार अतिरिक्त कर्ज लेने की जरूरतों का पुनर्मूल्यांकन कर रही है।

Updated on: 17 Jan 2018, 04:50 PM

highlights

  • केंद्र सरकार ने कर्ज की जरूरतों का किया पुनर्मूल्यांकन, बनाई योजना
  • कर्ज को 50 हजार करोड़ से 20 हजार करोड़ करने की योजना

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार के आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा है कि सरकार अतिरिक्त कर्ज लेने की जरूरतों का पुनर्मूल्यांकन कर रही है। इसी मुल्यांकन के तहत 50 हजार करोड़ रुपये के मुकाबले उसे घटाकर 20 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है।

गर्ग ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा, 'सरकार ने अतिरिक्त उधार लेने की जरूरतों का पुनर्मूल्यांकन किया है जिसमें राजस्व और खर्चे दोनों शामिल हैं। इसलिए अतिरिक्त उधार लेने की जरूरत को 50 हजार करोड़ से घटाकर 20 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है।'

हालांकि बीते दिसंबर 2017 में वित्त मंत्रालय ने कहा था कि सरकार अतिरिक्त बाजार उधारी को बढ़ाएगी। वित्त वर्ष साल 2018 में इसे 50 हजार करोड़ रुपये तक बढ़ाया जाएगा।

साल 2017-18 वित्त वर्ष में केंद्रीय बजट जो बनाया गया था उसमें सकल और शुद्ध बाजार में अतिरिक्त कर्ज बोझ क्रमश: 5 लाख 80 हजार करोड़ और चार लाख 23 हजार 226 करोड़ रुपये थे। इसमें से तीन लाख 48 हजार 226 करोड़ गवर्मेंट सिक्योरिटीज और ट्रेजरी बिल्स के जरिए आमदनी हुई।

मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक वित्त वर्ष 2018 में 26 दिसंबर 2017 तक के उधार लेने की जानकारी कर्ज कलैंडर के अनुसार था।

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अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि सरकार वर्तमान में ट्रेजरी बिलों के जरिए पैसा जुटाने में कटौती करेगी और इसे 86 हजार 203 करोड़ से घटाकर 25 हजार 6 करोड़ रुपये करने की थी।

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि सरकार अब मार्च साल 2018 तक अपने अतिरिक्त कर्ज को और नहीं बढ़ाएगी। ट्रेजरी बिलों का भुगतान 61 हजार 203 करोड़ रुपये और जी सेक उधारी 50 हजार करोड़ रुपये होगी।

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