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मध्यम वर्ग की उम्मीदों को झटका, इनकम टैक्स में राहत नहीं - लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर देना होगा 10 % टैक्स

बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रमुखता दी गई है वहीं मध्यम वर्ग को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। मोदी सरकार ने अपने आखिरी पूर्णकालिक बजट में इनकम टैक्स में किसी तरह की राहत नहीं दी है।

Updated on: 01 Feb 2018, 05:08 PM

नई दिल्ली:

मोदी सरकार का बजट मध्यम वर्ग की उम्मीदों पर पानी फेर गया है।

बजट में जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था और खेती-किसानी को प्रमुखता दी गई है वहीं मध्यम वर्ग को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है।

मोदी सरकार ने अपने आखिरी पूर्णकालिक बजट में नौकरीपेशा लोगों की उम्मीदों को झटका देते हुए इनकम टैक्स में किसी तरह की राहत नहीं दी है। 

बजट के पहले आयकर स्लैब में छूट की सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये किए जाने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अभी 2.5 लाख रुपये तक की आय छूट के दायरे में है।

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने पिछले तीन सालों में इनकम टैक्स को लेकर कई सारे बदलाव किए हैं। 'इसलिए मैं इसमें फिलहाल किसी बदलाव की पेशकश नहीं कर रहा।'

इसके साथ ही सरकार ने आशंकाओं को सच साबित करते हुए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर टैक्स लगा दिया है। सरकार ने करीब डेढ़ दशक बाद लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर फिर से टैक्स लगा दिया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स पर लगता है अभी तक 15 फीसदी टैक्स देना होता है, लेकिन अब लॉन्ग टर्म गेंस पर 10 फीसदी का टैक्स देना होगा।

हालांकि एक लाख रुपये से अधिक के कैपिटल गेन पर ही टैक्स देना होगा।

बजट भाषण पढ़ते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, 'मैं एक लाख रुपये से अधिक के लॉन्ग टर्म कैपिटन गेंस पर 10 फीसदी टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखता हूं।' वहीं इक्विटी आधारित म्युचुअल फंड से होने वाली आय पर 10 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की गई है।

इसके साथ ही कस्टम ड्यूटी में मोदी सरकार ने इजाफा किया है, जिसका सीधा असर मोबाइल और टीवी की कीमतों पर पड़ेगा। इस बढ़ोतरी की भरपाई मध्यम वर्ग को चुकानी होगी।

जेटली ने कहा, 'मोबाइल फोन पर कस्टम ड्यूटी को 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया है।'

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वहीं बजट में सरकार ने कॉरपोरेट इंडिया का पूरा ध्यान रखा है। सरकार ने 250 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाली कंपनियों पर 25 फीसदी टैक्स टैक्स लगाए जाने की घोषणा की है।

सरकार के इस फैसले से 99 फीसदी एमएसएमई को 25 फीसदी टैक्स ही देना होगा।

हालांकि वेतनभोगी क्लास को मामूली राहत भी मिली है। सरकार ने स्टैंडर्ड डिडक्शन को फिर से बहाल कर दिया है, जिसके तहत 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा।
आंकड़ों में देखा जाए तो सालाना 4 लाख रुपये तक कमाने वालों को इससे करीब 2100 रुपये तक का फायदा होगा।

इस छूट से हालांकि सरकारी खजाने को करीब 8,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। जेटली ने कहा, 'नौकरीपेशा वर्ग को राहत देते हुए मैं ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल अलाउंस के मद में 40,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रस्ताव करता हूं।'

विशेषज्ञों की माने तो नौकरीपेशा लोगों को इससे मामूली फायदा होगा।

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