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एनजीटी का आदेश, पराली जलाने वाले किसानों को न मिले मुफ्त बिजली

एनजीटी के पुराने आदेश के मुताबिक दिल्ली, यूपी, हरियाणा और पंजाब के चीफ सेक्रेटरी के अलावा केंद्रीय कृषि सचिव आज एनजीटी पहुंचे। एनजीटी चेयरपर्सन आदर्श कुमार गोएक ने चैंबर में सभी के साथ मीटिंग की।

Updated on: 15 Nov 2018, 09:57 PM

नई दिल्ली:

पड़ोसी राज्यों के किसानों के पराली जलाने के चलते दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर एनजीटी ने सख़्त रुख अख्तियार किया है. एनजीटी ने कहा कि तमाम जागरूकता फैलाने के बावजूद अभी भी जो किसान पराली जला रहे है, उनको सरकार मुफ्त बिजली जैसी सुविधा न दे. ट्रिब्यूनल ने ये बात पंजाब के संदर्भ में कही, साथ ही ये भी जोड़ा कि यूपी, हरियाणा जैसे राज्यों को भी ये नियम लागू करना चाहिए.

एनजीटी के पुराने आदेश के मुताबिक दिल्ली, यूपी, हरियाणा और पंजाब के चीफ सेक्रेटरी के अलावा केंद्रीय कृषि सचिव आज एनजीटी पहुंचे. एनजीटी चेयरपर्सन आदर्श कुमार गोएक ने चैंबर में सभी के साथ मीटिंग की.

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मीटिंग में चर्चा इस पर हुई कि किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए क्या कदम उठाये जाए. हालांकि राज्य सरकारों के चीफ सेक्रेटरी ने इस बात से इंकार किया कि दिल्ली में प्रदूषण की बडी वजह पड़ोसी राज्यों में पराली जलाया जाना है.

पंजाब और यूपी सरकार ने रिकॉर्ड पेश किए जिसके मुताबिक राज्य सरकार द्वारा कदम उठाये जाने के बाद उनके यहां पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना रहा. इसके बाद ओपन कोर्ट में सुनवाई हुई.

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ट्रिब्यूनल ने सभी राज्यों की ओर से उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर लिया. एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि कृषि सचिव नियमित तौर पर राज्यों के चीफ सेक्रेटरी के साथ मीटिंग करे. कृषि सचिव सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी , एक्सपर्ट के साथ मिलकर कमेटी का गठन करे और 30 अप्रैल को होने वाली अगली सुनवाई में रिपोर्ट पेश करे.