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एमसीडी चुनाव: 'आप' का पंजाब, गोवा जैसा होगा हाल या 2015 विधानसभा चुनाव दोहराएगी

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में आम आदमी पार्टी के कामकाज और राजनीतिक स्टैंड का आकलन होगा।

Updated on: 21 Apr 2017, 05:57 PM

highlights

  • आप का दावा 272 सीटों में से 218 सीटों पर जीत दर्ज करेगी
  • कांग्रेस का दावा है कि वह 208 सीटें जीतेगी

नई दिल्ली:

2 साल पहले आम आदमी पार्टी (आप) की एंट्री दिल्ली विधानसभा चुनाव में चौंकाने वाली रही। लेकिन अब दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव में उसके कामकाज और राजनीतिक स्टैंड का आकलन होगा। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या दिल्ली की जनता उसे निगम चुनावों में भी निजाम बनाएगी?

एमसीडी चुनाव से ठीक पहले राजौरी गार्डन विधानसभा चुनाव में 'आप' जमानत भी नहीं बचा सकी। जिसके बाद उसकी उम्मीदों पर पानी फिरता दिख रहा है। हालांकि आम आदमी पार्टी का दावा है कि वह 272 सीटों में से 218 सीटों पर जीत दर्ज करेगी।

वहीं कांग्रेस का दावा है कि वह 208 सीटें जीतेगी। सभी दलों के अपने-अपने दावे हैं।

वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राजौरी गार्डन सीट पर जीत के बाद उत्साहित है। उसे उम्मीद है कि वह लगातार तीसरी बार तीनों निगमों पर कब्जा जमाएगी। देशभर में लगातार हुई हार और दिल्ली के स्थानीय नेताओं का पार्टी से नाता तोड़ना कांग्रेस के लिए बुरी खबर से कम नहीं है।

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कांग्रेस 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीरो पर सिमट गई थी। वह एमसीडी में मुख्य विपक्षी है। हालांकि इस बार के नगर निगम चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला दिख रहा है। टीवी चैनलों और सर्वे एजेंसियों द्वारा कराए गये सभी सर्वेक्षणों में कांग्रेस तीसरे नंबर पर है।

पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को करारी शिकस्त मिली है। आप ने दावा किया था कि वह पूर्ण बहुमत से सरकार बनाएगी। गोवा में एक भी सीटें नहीं मिली तो पंजाब में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की। आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर पर रही।

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यह साफ है कि पंजाब और गोवा चुनाव परिणाम का मनोवैज्ञानिक प्रभाव दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी पड़ेगा। ऐसे में आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ सकती है।

विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी लगातार जीत दर्ज कर रही है। जिसका फायदा उसे निगम चुनावों में भी मिलेगा।

बीजेपी ने 10 साल तक सत्ता में रहने के बावजूद 'एंटी इन्कम्बेंसी' जैसी स्थिति नहीं बनने दी है। भ्रष्टाचार, पानी, बिजली, सफाई, स्वास्थ्य और डेंगू में बीजेपी ने केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर रूप से बोला है। सभी सीटों पर नये उम्मीदवारों को टिकट देकर बीजेपी ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह निगम को भ्रष्टाचार मुक्त करेगी।

वहीं दिल्ली में गद्दी संभालने के बाद अरविंद केजरीवाल ने बिजली बिल हाफ, पानी बिल माफ का नारा देकर लोगों को लुभाया था। वहीं दिल्ली नगर निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 'हाउस टैक्स' माफी के लिए वायदे किया है।

पंजाब, गोवा और राजौरी गार्डन के चुनाव में करारी शिकस्त के बाद आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपनी चुनावी स्ट्रेटजी भी बदली। उन्होंने अन्य चुनावों के मुकाबले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर नहीं लिया।

टीवी इंटरव्यू में भी मोदी पर किये गये सवालों से बचते नजर आए। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी को 'डरपोक' तक कहने वाले केजरीवाल को पर्सनल हमले के कारण कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। जिससे लोगों के बीच गलत मैसेज गया।

सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और गोपाल राय पर भ्रष्टाचार का आरोप लगना भी आम आदमी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है। शुंगलू कमेटी रिपोर्ट और 11 हजार रुपये की थाली पर बीजेपी के आरोपों के बाद भी आप को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। जिसका निगम चुनाव में इफेक्ट पड़ेगा।

लगातार लग रहे आरोपों के बाद आम आदमी पार्टी नेता कुमार विश्वास इशारों-इशारों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साध चुके हैं।

तमाम राजनीतिक हलचल के बाद 23 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। जिसके लिए शुक्रवार शाम को प्रचार थम चुका है।