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दिल्ली-एनसीआर: जनवरी के बाद एक बार फिर छाने लगा हवा में प्रदूषण का खतरा

कुछ महीनों की राहत के बाद दिल्ली में एक बार फिर दूषित हवाओं का असर छाने लगा है।

Updated on: 01 Oct 2017, 01:01 PM

highlights

  • दिल्ली में फिर छाने लगा 'स्मोग' का खतरा, सीपीसीबी ने किया अगाह
  • अगर जल्द नहीं नियंत्रण किया गया तो हवा की गुणवत्ता में गिरावट की संभावना

नई दिल्ली:

कुछ महीनों की राहत के बाद दिल्ली में एक बार फिर दूषित हवाओं का असर छाने लगा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के दैनिक वायु प्रदूषण सूचकांक के अनुसार, 27 सितंबर से हवा की गुणवत्ता में गिरावट आने लगी है। इससे पहले जून में हवा की गुणवत्ता में खराबी थी, उसके बाद से ज्यादातर सामान्य या संतोषजनक स्थिति रही।

सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2016 की तुलना में इस गर्मी और मानसून में हवा की गुणवत्ता बेहतर थी। लेकिन अगर शहर अगले तीन महीनों में फिर से वायु प्रदूषण को रोकने में विफल रहता है, तो इसमें गिरावट हो सकती हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के दिनों में गुणवत्ता में गिरावट का कारण दशहरा की वजह से यातायात में भारी बढ़ोतरी हो सकती हैं। इसके अलावा यह साल का वह समय हैं जब शहर के हवा में कणों का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है।

हवाओं में दूषित कणों के बढ़ने के कई कारण होते हैं। जिसमें हरियाणा और पंजाब में पराली जलाना, दीवाली के दौरान पटाखें जलाना आदि शामिल हैं। दिल्ली जल्दी ही सभी स्रोतों से उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए ग्रेडेड रेसपॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) लागू करने वाला है।

सुप्रीम कोर्ट के अनिवार्य पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के सदस्यों के अनुसार, 'बहुत खराब' श्रेणी के दिनों से निपटने के उपायों को 15 अक्टूबर से 15 मार्च तक ठंड के महीनों में लागू किया जाएगा।

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प्रदूषण को रोकने के लिए सीपीसीबी और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) शहर में सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने, ट्रकों के शहर में घुसने और प्रधूषण स्तर बढ़ने पर स्कूलों को बंद करने जैसे कड़े फैसले भी ले सकती है।

ये सभी मानक पिछली सर्दी के दौरान प्रदूषण को रोकने के लिए लागू नहीं किए गए थे।

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