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आरुषि हत्याकांड: हेमराज की पत्नी ने हाईकोर्ट के फैसले को SC में दी चुनौती, कहा- एजेंसी हत्यारों का पता लगाए

हेमराज की पत्नी ने कहा कि हाईकोर्ट का फ़ैसला ग़लत है, क्योंकि कोर्ट ने इसे हत्या तो बताया है लेकिन किसी को दोषी करार नहीं दिया है।

Updated on: 15 Dec 2017, 11:27 PM

नई दिल्ली:

आरुषि तलवार और हेमराज हत्या मामले में हेमराज की पत्नी ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले को चुनौती दी है।

इस याचिका में हेमराज की पत्नी ने कहा कि हाईकोर्ट का फ़ैसला ग़लत है, क्योंकि कोर्ट ने इसे हत्या तो बताया है लेकिन किसी को दोषी करार नहीं दिया है। इसलिए जांच एजेंसी हेमराज के हत्यारों का पता लगाए।

डॉ़ तलवार की नाबालिग पुत्री आरुषि की हत्या वर्ष 2008 में 15 मई की रात नोएडा के सेक्टर 25 स्थित घर में ही कर दी गई थी। विवेचना के दौरान अगले ही दिन घर की छत पर उनके घरेलू नौकर हेमराज का शव भी पाया गया था।

इस हत्याकांड में नोएडा पुलिस ने 23 मई को डॉ. राजेश तलवार को बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। 1 जून को इस मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित हो गई।

हेमराज की पत्नी की याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट आखिरी बार देखे जाने की थ्योरी पर विचार करने में नाकाम रहा जबकि इस बात के पुख्ता सबूत थे कि एल-32 जलवायु विहार में प्रतिवादी (नुपुर तलवार और राजेश तलवार) मरने वालों के साथ मौजूद थे जिसकी पुष्टि उनके ड्राइवर उमेश शर्मा ने की। उसने कोर्ट के सामने बयान भी दिए।

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हाईकोर्ट इस तथ्य पर भी विचार करने में नाकाम रहा कि ऐसा कुछ नहीं है जो ये दिखाता हो कि रात 9.30 के बाद कोई बाहरी घर में भीतर आया हो। इस बात का भी कोई मैटेरियल नहीं है कि कोई संदिग्ध परिस्थितियों में फ्लैट के आसपास दिखाई दिया हो।

याचिका में डॉ नुपुर तलवार, डॉ राजेश तलवार और सीबीआई को प्रतिवादी बनाया गया है।

उत्तर प्रदेश में नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड के मामले में उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए कहा था कि तलवार दंपति ने अपनी बेटी आरुषि की हत्या नहीं की है।

अदालत ने साफ तौर पर कहा कि माता-पिता को सिर्फ इसलिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि वह घटना की रात घर में मौजूद थे। उन्हें इस मामले से बरी किया जाता है।

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न्यायमूर्ति बी.के. नारायण और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र की खंडपीठ ने जांच एजेंसी की जांच में कई खामियां पाई और राजेश तलवार और नुपूर तलवार को को बरी कर दिया।

सीबीआई कोर्ट ने नवंबर 2013 में तलवार दंपति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसके विरुद्ध अपील पर न्यायमूर्ति बी.के. नारायण एवं न्यायमूर्ति ए.के. मिश्र की खंडपीठ के समक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई।

14 साल की बेटी आरुषि तलवार और नौकर हेमराज की हत्या 15-16 मई, 2008 की दरम्यानी रात नोएडा स्थित उनके घर में हुई, जबकि एक दिन बाद नौकर हेमराज का शव छत से बरामद हुआ।

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23 मई, 2008 को राजेश तलवार को उत्तर प्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया और दूसरे दिन मुख्य अभियुक्त करार दिया। 29 मई को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था। 

जून 2008 सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की और राजेश तलवार को हिरासत में लेकर पूछताछ की, लेकिन सबूतों के आभाव में विशेष अदालत ने 12 जुलाई, 2008 को राजेश तलवार को रिहा कर दिया। इस बीच कम्पाउंडर और 2 नौकरों को भी गिरफ्तार किया, लेकिन सबूतों के आभाव में उन्हें भी छोड़ दिया गया। 

पहली बार 9 फरवरी, 2009 को तलवार दंपति पर हत्या का मामला दर्ज किया गया। जांच में सहयोग न करने के चलते दोनों के नार्को जांच की जनवरी 2010 में इजाजत भी मिली। मामले में कई मोड़ आए, सीबीआई की जांच हुई और इसमें दिसंबर 2010 में 30 महीने बाद क्लोजर रिपोर्ट पेश की गई।

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उसके पिता राजेश तलवार पर 25 जनवरी 2011 कोर्ट में चाकू से हमला किया गया। 6 जनवरी 2012 को तलवार दंपति पर को सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपति पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया। नूपुर तलवार को 30 अप्रैल 2012 को गिरफ्तार कर लिया गया। इस बीच नूपुर तलवार 25 सितंबर, 2012 को जमानत पर बाहर आ गईं। 

12 नवंबर, 2013 को बचाव पक्ष के गवाहों के अंतिम बयान दर्ज किए गए थे। कोर्ट ने 25 नवंबर 2013 को दोनों को आजीवन का कारावास फैसला सुनाया और तभी से दोनों गाजियाबाद के डासना जेल में बंद थे।

हालाकि 29 अगस्त 2016 को उच्च न्यायालय के एक आदेश के बाद नूपुर कुछ दिनों के लिए पैरोल पर रिहा की गई थी। 

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