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एमपी: मानव तस्करों का गढ़ बना सिंगरौली, आदिवासी लड़कियां हो रही है शिकार

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने और शिक्षा का अभाव होने की वजह से यहां मानव तस्करों का गढ़ बनता जा रहा है.

Updated on: 11 Jan 2019, 12:17 PM

नई दिल्ली:

सिंगरौली जिले का सुदूर अंचल सरई क्षेत्र आजकल अपनी अलग पहचान मानव तस्करी के लिए विख्यात होने लगा है. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने और शिक्षा का अभाव होने की वजह से यहां मानव तस्करों का गढ़ बनता जा रहा है. इस क्षेत्र में छोटे बड़े दर्जनों मानव तस्करी के गिरोह सक्रिय हैं, जो आदिवासी बालाओ तथा युवाओं को बहला-फुसला कर शहर ले जाते हैं और उन्हें मोटी रकम लेकर बेच देते हैं. कई गिरोह के सदस्यों पर पुलिस ने कार्यवाही भी की हैं पर अनेक गरोह अब भी पुलिस की पकड़ से दूर है.

जब यहां के लोगो से इसके बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि मुख्यालय से काफी दूर होने के कारण यह क्षेत्र काफी पिछड़ा है. सरकार के विकास की योजनायें यहां मात्रा सुनाई देती है. हकीकत में यहां कोई योजना परिलक्षित नहीं होती. यहां अशिक्षा और गरीबी, भुखमरी का बोलबाला है जिस कारण आदिवासी मानव तस्करों के झांसे में आ जाते हैं.

गांव की ही एक आदिवासी लड़की ने बताया कि उसे गांव की ही एक औरत विभागवती ने उसे रामप्रकाश बैग के यहां रखने के लिए ले गई पर उसने उसे गणेश साहू के घर पहुंचा कर अपने दीदी के यहां चली गई. आगे कामलेश वती ने बताया कि उसे गणेश साहू ने मंदसौर में बाबूलाल के यहां ले जाकर बेच दिया. जहां गणेश साहू ने उसके साथ गलत काम भी किया. इसके बाद वो वहां से भाग गई और थाने पहुंच गई जिससे वह फिर अपने घर पहुंच सकी.

रामकली ने बताया की उसे गांव की ही सोनकली जो कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हे उसकी की सहेली रामवती ने काम दिलाने के बहाने राजस्थान ले गई और बोली की एक महीने का काम है. फिर राजस्थान के भगवानपुरा गांव में दो लाख रुपये में बेच दिया. जब रामकली को खरीदार ने बोला कि मैंने 2लाख मैं तुमको खरीदा है अब तुम वही करोगी जो मैं कहूंगा. तब पीड़िता भाग कर बगल के घर मे चली गई और अपनी पूरी बात को बगल के घर मै रह रहे बुजर्ग को बताया. उस बुजुर्ग ने तुरंत 108 नंबर को फोन कर पुलिस को सूचित किया.

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पुलिस ने पीड़ता के घर पे सम्पर्क कर उसे उसके पिता को सौंप दिया. सरई पुलिस को आने के बाद बताया कि इसी क्षेत्र की दो और लड़कियां वहां पर है. पीड़िता ने यह भी बताया कि इस संबंध में उसने पुलिस को सूचना दिया था परंतु उसे बेचने वाली औरतों पर 5 माह बीत जाने के बाद भी कार्यवाही नही हुई है.

इसी प्रकार की कई घटनाएं क्षेत्र में हुई हैं जिसमे या तो लड़कियों की बिक्री हुई है. लड़को की कई घटनाओं पर पुलिस ने कार्यवाही भी की है पर वह नाकाफी लगती है क्योंकि इसतरह की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं.

समाज सेवी सरई बताया की आदिवासी छेत्र होने के कार्ड और साक्षरता की कमी होने की कारण यहां के आदिवासी लोग बड़े सीधे साधे हैं और दूसरों की बातों में बहुत जल्दी आ जाते हैं. इसी का फायदा उठाकर कुछ दलाल व्यवसाय का जरिया बना लिए और इन्हें काम दिलाने के नाम पर बाहर जा कर भेज देते हैं.

इनके द्वारा कहा गया कि रामकली नाम की जो लड़की भगवानपुरा राजस्थान में जब मिली तो मेरे द्वारा खुद वहां जाकर उसके पिता को साथ में लेकर मैंने रामकली के पिता हेमराज को मिलाने में मदद की. प्रेम सिंह भाटी द्वारा कहा गया की प्रशासन और पुलिस ऐसी कोई योजना नहीं चला रहा जिससे कि जहां पर सक्रिय मानव तस्कर पर कार्यवाही हो.

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सरपंच सजापानी उनके द्वारा बताया गया कि 10 वर्षों से मैं सरपंच हूं सजापानी गांव से पर शासन के ऐसी कोई योजना अभी तक नहीं आई कि इन आदिवासियों का विकास हो सकें. उन्होंने बताया कि अगर में शासन की योजना के नाम गिनाने लगूं तो अनगिनत है. लेकिन आदिवासी क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को इन योजनाओं का कोई लाभ नहो मिल सका.

आज तक कोई भी ऐसी पहल नहीं हुई कि जंगलों में रहने वाले आदिवासी को आमजन की मुख्यधारा में जोड़ने की कवायत की जा सके बताना चाहता हूं कि 10 वर्ष से लगातार सरपंच है.