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IT विभाग को मिली बड़ी कामयाबी, दिल्ली में 20 हजार करोड़ रुपये के हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का पर्दाफाश

विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पुरानी दिल्ली के विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों में पिछले कुछ सप्ताह के दौरान I-T डिपार्टमेंट की दिल्ली इकाई ने कई छापेमारी की.

Updated on: 12 Feb 2019, 08:02 AM

नई दिल्ली:

आयकर विभाग (IT) ने सोमवार को हवाला कारोबार के एक गिरोह का भंडाफोड़ करने का दावा किया है. IT के मुताबिक यह गिरोह राष्ट्रीय राजधानी में करीब 20 हजार करोड़ रुपये का मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट चला रहा था. विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पुरानी दिल्ली के विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों में पिछले कुछ सप्ताह के दौरान I-T डिपार्टमेंट की दिल्ली इकाई ने कई छापेमारी की.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन छापेमारी से हवाला कारोबार के तीन समूहों द्वारा अवैध वित्तीय गतिविधियों में लिप्त होने का पता चला है. अधिकारी ने कहा कि नया बाजार इलाके में एक ऐसा ही सर्वे किया गया जिसमें करीब 18 हजार करोड़ रुपये के फर्जी बिल मिले. समूह ने फर्जी बिल उपलब्ध कराने के लिये कई फर्जी इकाइयां बनाई हुईं थीं.

हालांकि, विभाग ने आरोपियों की पहचान का खुलासा नहीं किया.

अधिकारी ने कहा कि दूसरे मामले में एक बेहद संगठित मनी लॉन्ड्रिंग गिरोह का पता चला. ये लोग बड़ी कंपनियों के शेयरों को धोखाधड़ी के जरिए वर्षों से रखे गए पुराने शेयर बताकर बेच रहे थे. उन्होंने कहा कि इस तरीके से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स का फर्जी दावा कर पैसे कमाए जा रहे थे.

अधिकारियों का अनुमान है कि इस तरीके से एक हजार करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला किया गया. अधिकारी ने कहा, 'यह छोटा हिस्सा भर है. धोखाधड़ी का यह तरीका कई साल से इस्तेमाल किया जा रहा था.'

विभाग को इसी तरह एक अन्य समूह का भी पता चला जिनके पास अघोषित विदेशी बैंक खाता पाया गया. यह समूह निर्यात का कीमत से अधिक बिल बनाकर जीएसटी के तहत फर्जी दावा भी करते थे.

उन्होंने कहा, 'शुरुआती अनुमान के अनुसार ये फर्जी निर्यात 1,500 करोड़ रुपये से अधिक के हैं.' छापेमारी करने वाले दल को करीब 100 करोड़ रुपये के हस्ताक्षर किए गए और बगैर हस्ताक्षर के दस्तावेज, समझौते, अनुबंध, नकदी कर्ज और उसपर अर्जित ब्याज, वित्तीय विवादों का नकद के बदले निस्तारण और इनके एवज में पैसे लेने की रसीदें आदि मिलीं हैं.

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अधिकारी ने कहा, 'तीसरे मामले की जांच में विदेश में लोगों को विदेशी यात्रा कराने और विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराने के भी सबूत मिले हैं.' उसने कहा कि इन मामलों में कर चोरी की कुल राशि करीब 20 हजार करोड़ रुपये होने का अनुमान है.