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बेटे जसमीत इंसा बोले, गुरमीत सिंह ही संभालेंगे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की कमान

जसमीत इंसा ने ये साफ़ कर दिया कि मीडिया में उत्तराधिकारी को लेकर जो चर्चा चल रही है वो ग़लत है।

Updated on: 31 Oct 2017, 07:13 PM

नई दिल्ली:

बालात्कार मामले में 20 साल की सज़ा काट रहे गुरमीत सिंह के जेल जाने के बाद से ही उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा ज़ोरों पर है।

सोमवार को गुरमीत राम रहीम के बेटे जसमीत इंसा जब उनसे मिलने सिरसा के सुनरिया जिला जेल पहुंचे तो एक बार फिर से मीडिया में ये चर्चा गर्म हो गई। यहां तक कहा जाने लगा कि जसमीत इंसा को राम रहीम का उत्तराधिकारी बनाया गया है।

हालांकि मंगलवार को जसमीत इंसा ने ये साफ़ कर दिया कि मीडिया में उत्तराधिकारी को लेकर जो चर्चा चल रही है वो ग़लत है।

जसमीत इंसा ने एक प्रेस रिलीज़ जारी करते हुए लिखा, 'मेरे पिता व पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां डेरा सच्चा सौदा के गद्दीनशीन हैं और आगे भी वही रहेंगे। गुरूगद्दी की मेरी कभी इच्छा नहीं रही और न ही मैं कभी ऐसा सोच सकता हूं।'

जसमीत इन्सां ने मीडिया रिपोर्ट पर दुख ज़ाहिर करते हुए कहा, 'इस पूरे घटनाक्रम से मेरे हृदय को बहुत ज्यादा कष्ट हुआ है। कुछ दिनों से टीवी व समाचार पत्रों में मनगढ़ंत प्रचार और पूज्य गुरू जी की गुरूगद्दी के संबंध में साध-संगत व समाज में शरारती तत्वों ने दुष्प्रचार फैलाना शुरू कर दिया, उसका मुझे बेहद दुख है।'

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जसमीत इन्सां ने अपने पिता को निर्दोष बताते हुए कहा, 'मेरे गुरू जी और पिता एकदम सच्चे व निर्दोष हैं। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही माननीय उच्च न्यायालय से हमें इंसाफ मिलेगा व गुरू जी हमारे बीच होंगे और मानवता भलाई के कार्यों को आगे बढ़ाएंगे।'

बता दें कि बालात्कार मामले में 20 साल कारावास की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह ने 25 सितम्बर को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। राम रहीम के वकील ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है।

राम रहीम मौजूदा समय में रोहतक के पास सुनरिया जिला जेल में बंद है। राम रहीम को पंचकुला स्थित सीबीआई अदालत ने 25 अगस्त को अपनी दो साध्वियों के साथ 1999 में दुष्कर्म करने के मामले में 20 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।

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राम रहीम को दुष्कर्म का दोषी करार दिए जाने के बाद हरियाणा के पंचकुला व सिरसा में हिंसा भड़क उठी थी। इसमें 38 लोगों की मौत हो गई थी और 264 लोग घायल हो गए थे। दिल्ली व पंजाब के कई जगहों पर भी हिंसा की घटनाएं हुई थीं।

पंचकुला में सीबीआई अदालत डेरा प्रमुख के खिलाफ दो अन्य मामलों की भी सुनावाई कर रही है।

ये मामले जुलाई 2003 में डेरा के पूर्व प्रबंधक रंजीत सिंह की हत्या और सिरसा के पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की अक्टूबर 2002 में हुई हत्या से जुड़े हुए हैं।

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