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दाभोलकर और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले एक-दूसरे से जुड़े हैं : सीबीआई

सीबीआई ने रविवार को कहा कि उसने पुणे के बुद्धिजीवी नरेंद्र दाभोलकर और बेंगलुरू की पत्रकार गौरी लंकेश की हत्याओं के बीच की आपसी कड़ी जोड़ ली है।

Updated on: 27 Aug 2018, 05:46 PM

पुणे:

एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रविवार को कहा कि उसने पुणे के बुद्धिजीवी नरेंद्र दाभोलकर और बेंगलुरू की पत्रकार गौरी लंकेश की हत्याओं के बीच की आपसी कड़ी जोड़ ली है। सीबीआई ने कहा कि उसने प्रमुख संदिग्धों में से एक सचिन अंधुरे की पुलिस हिरासत को बढ़ाने के लिए पुणे की शिवाजीनगर मजिस्ट्रेट की अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखने के दौरान इस महत्वपूर्ण कड़ी को साबित किया है।

इसके बाद, अंधुरे की हिरासत 30 अगस्त तक बढ़ा दी गई। उसे औरंगाबाद से पिछले सप्ताह गिरफ्तार किया गया था।

दाभोलकर की हत्या के चार साल बाद गौरी की हत्या हुई थी। इन दोनों ही मामलों में सनातन संस्था समेत दक्षिणपंथी संगठनों की भूमिका संदिग्ध मानी जाती रही और अब यह जांच में सामने भी आ रहा है।

लेकिन, अपनी रिमांड याचिका में सीबीआई ने किसी भी संगठन का नाम नहीं लिया है, जो इन मामलों में शामिल हो सकता है।

रिमांड आवेदन में कहा गया कि पूछताछ के दौरान अंधुरे ने खुलासा किया कि गौरी लंकेश की हत्या मामले में गिरफ्तार आरोपियों में से एक ने उसे 7.65 एमएम की देसी पिस्तौल और तीन गोलियां सौंपी थी।

बाद में अंधुरे ने दावा किया कि उसने इसे औरंगाबाद में अपने साले शुभम सुरले को 11 अगस्त, 2018 को दे दिया था।

सुरले ने इस हथियार को बाद में इसी शहर के अपने दोस्त रोहित रेगे को सौंप दिया, हालांकि इसका मकसद अभी स्पष्ट नहीं है।

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अंधुरे के नाम का खुलासा शरद कलास्कर ने किया था, जो कि पालघर के नाला सोपारा का रहने वाला है। इसे महाराष्ट्र एटीएस ने 10 अगस्त को एक बड़े हथियारों के जखीरे के साथ गिरफ्तार किया था।

बताया गया है कि कलास्कर ने खुलासा किया कि 'मोटरसाइकिल पर अंधुरे और वह खुद सवार था और उन दोनों ने ही दाभोलकर को उस दिन गोली मारी थी।'

इस नई सूचना के बाद सीबीआई कलास्कर को रिमांड पर लेने की योजना बना रही है। महाराष्ट्र एटीएस के पास उसकी रिमांड अवधि इस हफ्ते समाप्त हो रही है।