Year Ender 2016: टी-20 वर्ल्ड कप से लेकर आईपीएल और टेस्ट तक, कोहली के खेल ने ऐसे जीता दिल
कप्तान के तौर पर दवाब क्या होता है इससे सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं, लेकिन विराट पर यह दबाव कभी दिखा ही नहीं। उन्होंने अपने दमदार प्रदर्शन और नेतृत्व क्षमता से उन्होंने सबका दिल जीता।
highlights
- टेस्ट में कप्तानी सहित बल्ले से भी जीता दिल, आईपीएल में भी टीम को फाइनल तक पहुंचाया
- टी-20 वर्ल्ड कप में किया कमाल, नंबर वन टेस्ट टीम के साथ साल का समापन
नई दिल्ली:
करीब दो साल पहले जब विराट कोहली ने टेस्ट में टीम इंडिया की कप्तानी को संभाली थी तो इसकी उम्मीद कतई नहीं थी वह इतनी जल्दी सौरव गांगुली के दौर की याद दिला देंगे। कोहली केवल टेस्ट में कप्तानी के तौर पर ही नहीं बल्कि वनडे और टी-20 में भी बतौर बल्लेबाज हिट रहे।
बेशक इस साल की शुरुआत में आस्ट्रेलिया से एकदिवसीय श्रृंखला में मिली हार से शुरुआत खराब रही, लेकिन इसके बाद एशिया कप, न्यूजीलैंड के खिलाफ जीत ने उसकी अच्छी भरपाई की। भारत की मेजबानी में हुई आईसीसी टी-20 विश्व कप में भी टीम ने सेमीफाइनल का सफर तय किया।
रिकॉर्ड 18 टेस्ट मैचों में अपराजित चल रही भारतीय टीम ने नंबर-1 टेस्ट टीम का दर्जा फिर से हासिल किया और एकदिवसीय में कई श्रृंखलाएं अपने नाम कीं।
टेस्ट में बतौर कप्तान विराट ने लगातार रन बटोरे और एकदिवसीय तथा टी-20 में उन्होंने कई बार अकेले दम पर टीम को विजय दिलाई। विराट ने अपने खेल से बताया कि वह कितने परिपक्व हो चुके हैं। उनकी बेहतरीन पारियां इस बात की सबूत हैं कि उन्होंने खुद को किस तरह मांझा है।
कप्तान के तौर पर दवाब क्या होता है इससे सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं, लेकिन विराट पर यह दबाव कभी दिखा ही नहीं। उन्होंने अपने दमदार प्रदर्शन और नेतृत्व क्षमता से इस दबाव को उतार फेंका और टीम एक के बाद एक सफलता के नए अध्याय लिखती गई।
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टेस्ट में इस साल विराट ने कुल 12 मैच खेले, जिसमें 75.93 की शानदार औसत से 1215 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने चार शतक लगाए, जिनमें तीन दोहरे शतक शामिल हैं। शुरुआत वेस्टइंडीज से हुई जहां उनकी आगुआई में टीम ने 2-1 से जीत दर्ज की। विराट ने इस दौरे की शानदार शुरुआत की और एंटिगा टेस्ट में दोहरा शतक जड़ा।
विराट की आगुआई में इस वर्ष भारतीय टेस्ट टीम की सफलता की यह सिर्फ शुरुआत थी। उसने पहले न्यूजीलैंड को 3-0 से, फिर इंग्लैंड को 4-0 से करारी मात दी। दोनों श्रृंखलों में विराट ने एक-एक दोहरे शतक भी लगाए।
टेस्ट में विराट को लोकेश राहुल, चेतेश्वर पुजारा, अंजिक्य रहाणे और मुरली विजय का समर्थन बखूबी मिला, लेकिन जब भी टीम संकट में आई वह अकेले दम संघर्ष कर भारतीय टीम को वैतरणी के पार ले गए।
विराट ने इस साल एकदिवसीय में कुल 10 मैच खेले और 92.37 के औसत से 739 रन बनाए। इन मैचों की 10 पारियों में उन्होंने चार शतक और तीन अर्धशतक लगाए। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह किस तरह टीम की बल्लेबाजी की धुरी बनकर उभरे हैं।
हाल ही में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत ने 3-2 से श्रृंखला अपने नाम की। इस श्रृंखला में विराट ने 85, 154 और 65 रनों की पारियां खेलीं। श्रृंखला में विराट ने जिस तरह बल्लेबाजी की थी उसने बता दिया था कि वह कहीं से भी टीम को जीत दिला सकते हैं।
विराट का प्रदर्शन इस वर्ष टी-20 में खास तौर पर शानदार रहा। उन्होंने इस साल 15 अंतर्राष्ट्रीय टी-20 मैच खेले और 106.83 की औसत से 641 रन बनाए, जिसमें सात अर्धशतक शामिल हैं। पहली बार टी-20 प्रारूप में खेले गए एशिया कप से लेकर टी-20 विश्व कप तक विराट ने हमेशा रन बनाए।
विश्व कप में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ 55 रनों की पारी उनके बल्ले से उस समय निकली जब टीम ने 23 के स्कोर पर ही तीन विकेट गंवा दिए थे। इस पारी ने बताया कि विराट के खेल में सिर्फ आक्रामकता ही नहीं है बल्कि बड़े मैचों में बड़ी और महत्वपूर्ण पारी खेलने की परिपक्वता उनकी असली काबिलियत है।
इसी टूर्नामेंट में भारतीय टीम पर सेमीफाइनल से पहले ही बाहर होने का खतरा था, लेकिन विराट ने अंतिम ग्रुप मैच में आस्ट्रेलिया के खिलाफ एक बार फिर जिम्मेदारी ली और 51 गेंदों में 82 रनों की पारी खेल टीम को सेमीफाइनल में पहुंचाया। इस पारी के बाद आस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीवन स्मिथ भी विराट की प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाए। मैच के बाद उन्होंने कहा था कि विराट अकेले दम पर मैच हमसे छीन ले गए।
विराट ने इस टूर्नामेंट में पांच मैचों में 136.50 की औसत से 273 रन बनाए थे और प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए।
टी-20 विश्व कप की शानदार फॉर्म को विराट ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में भी जारी रखा। इससे पहले आईपीएल में विराट ने एक भी शतक नहीं लगाया था लेकिन रन के भूखे इस बल्लेबाज ने आईपीएल में इस साल चार शतक जड़े। विराट ने आईपीएल में 16 मैचों में 81.08 की औसत से 973 रन बनाए जिसमें चार शतक के अलावा सात अर्धशतक भी शामिल रहे।
बल्ले से रन बरसाने वाले विराट ने अपनी टीम रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर को फाइनल तक भी पहुंचाया, हालांकि वह अपनी टीम को जीत नहीं दिला सके। लेकिन उनके प्रदर्शन ने विराट को विश्व पटल पर और उभारा। वह आईपीएल के एक संस्करण में सबसे ज्यादा रन और शतक बनाने वाले बल्लेबाज भी बने।
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कप्तान के तौर पर विराट ने घर में तो हर किसी की वाहवाही लूटी लेकिन उनकी असल परीक्षा विदेशों में होगी। विराट ने इस साल जिस अंदाज में रन बटोरे हैं उसने भारतीय प्रशंसकों की उम्मीदों को और बढ़ा दिया है। वह विराट को अपने देश के लिए जीतते हुए देखना चाहते हैं तो क्रिकेट के दीवाने लोग विराट के खेल को और बेहतर होते हुए।
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