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जब कोच आचरेकर के एक थप्पड़ ने बदल दी थी सचिन तेंदुलकर की जिंदगी

सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, 'रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) सर की उपस्थिति से स्वर्ग में भी क्रिकेट समृद्ध होगा.

Updated on: 03 Jan 2019, 11:02 AM

नई दिल्ली:

भारतीय क्रिकेट को सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) जैसा नायाब तोहफा देने वाले कोच रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) का बुधवार को यहां निधन हो गया. उनके निधन पर दिग्गजों ने उन्हें अपनी श्रद्वांजलि दी है. द्रोणाचार्य अवार्डी रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) 87 वर्ष के थे. उन्होंने अपने घर दादर में शाम पांच बजे अंतिम सांस ली. रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) को 1990 में द्रोणाचार्य अवार्ड और 2010 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, 'रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) सर की उपस्थिति से स्वर्ग में भी क्रिकेट समृद्ध होगा. अन्य छात्रों की तरह मैंने भी क्रिकेट की एबीसीडी सर के मार्गदर्शन में ही सीखी. मेरे जीवन में उनके योगदान को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. उन्होंने वह नींव रखी, जिस पर मैं खड़ा हूं.'

सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने कहा, 'मैं पिछले महीने सर एवं उनके कुछ छात्रों से मिला और उनके साथ समय बिताया. हमने पुरानी यादें साझा की और बहुत खुश हुए. मुझे रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) सर ने सीधे बल्ले से खेलना और सादा जीवन जीना सिखाया. हमें अपने जीवन से जोड़ने और खेल के गुर सिखाने के लिए धन्यवाद.'

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सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने कहा था कि रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) सर पेड़ के पीछे खड़े होकर हमारा खेल देखा करते थे और बाद में हमारी गलतियां बताया करते थे. वह काफी मजाक जरूर करते थे लेकिन हम पर पूरी नजर भी रखते थे.

सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने कहा था, 'रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar)' सर ने मुझे मैच टैंपरामेंट से परिचित करवाया था. मेरे भाई अजीत मुझे इसलिए उनके पास लेकर गए थे क्योंकि वह अपने स्टूडेंट्स को ज्यादा से ज्यादा प्रैक्टिस मैच खिलाया करते थे.'

सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने एक बार बताया था कि कैसे रमाकांत आचरेकर (Ramakant Achrekar) सर के एक थप्पड़ ने उनकी जिंदगी बदल दी थी. उन्होंने बताया था कि स्कूल खत्म करने के बाद वह अपनी मौसी के घर लंच करने जाते थे. इस बीच सर उनके लिए कुछ मैच ऑर्गनाइज करवाया करते थे. वह सामने वाली टीम को बता देते थे कि मैं चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करूंगा.

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सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने बताया था, 'ऐसे ही एक दिन मैच खेलने के बजाए मैं वानखेड़े स्टेडियम में शारदाश्रम इंग्लिश मीडियम और शारदाश्रम मराठी मीडियम के बीच हैरिस शील्ड का फाइनल देखने चला गया. मैं अपनी टीम का हौसला बढ़ाने वहां गया था. मैंने वहां सर को देखा और उन्हें मिलने चला गया. उन्हें पता था कि मैं मैच खेलने नहीं गया लेकिन उन्होंने फिर भी पूछा कि मैंने कैसा प्रदर्शन किया. मैंने उन्हें बताया कि मैं मैच छोड़कर अपनी टीम का हौसला बढ़ाने यहां आया हूं. इतना सुनना था कि उन्होंने मुझे एक जोरदार थप्पड़ लगाया. मेरे हाथ का लंच बॉक्स छूट कर दूर गिरा. सारा सामान फैल गया.'

सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) ने बताया था, 'उस समय सर ने मुझे कहा था, 'तुम्हें दूसरों के लिए तालियां नहीं बजानी हैं. ऐसा खेलो कि लोग तुम्हारे लिए तालियां बजाएं.' उस दिन के बाद मैंने काफी मेहनत की और घंटों प्रैक्टिस करता रहा. अगर उस दिन ऐसा नहीं होता तो शायद मैं स्टैंड में बैठकर लोगों की हौसल अफजाई ही करता रहता.'