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IND vs AUS: जानें विदेश में भारतीय टीम के लचर प्रदर्शन का क्या है कारण? कैसे बदल सकती है हार का रिकॉर्ड

India vs Australia: भारतीय गेंदबाजों के इस प्रदर्शन ने दो सवाल खड़े किये हैं. क्या भारतीय गेंदबाज 20 विकेट ले पाने में सक्षम है और दूसरा आखिर कब तक भारतीय गेंदबाज पुछल्ले बल्लेबाजों (TailEnders) की वजह से मैच गंवाते जाएंगे.

Updated on: 03 Dec 2018, 03:38 PM

नई दिल्ली:

जब-जब भी किसी नई टेस्ट सीरीज की शुरुआत होती है, क्रिकेट पंडितों के बीच मैच के निर्णय, बन सकने वाले रिकॉर्ड्स और खिलाड़ियों के प्रदर्शन को लेकर कई सारी संभावनाओं पर बात होती है. एडिलेड में 6 दिसंबर से शुरू हो रही भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज की बात करें तो विराट कोहली ऐंड कंपनी का दावा मजबूत माना जा रहा है. हालांकि डेविड वार्नर और स्टीव स्मिथ की अनुपस्थिति में ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट इतिहास की अब तक सबसे कमजोर टीम के रूप में देखे जा रहे इस दल को किसी भी हाल में कम नहीं आंका जा सकता है.

हाल ही में सिडनी में खेले गए भारत और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए अभ्यास मैच में जहां भारतीय बल्लेबाजों ने दम दिखाया वहीं भारतीय गेंदबाजी लचर साबित हुई और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने 544 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया. यहां गौर करने वाली बात यह है कि भारत की ओर से 338 रनों का जवाब देने उतरी सीए की टीम एक समय पर 234/6 थी, लेकिन निचले क्रम के बल्लेबाजों ने छठे स्थान के बल्लेबाज हैरी निल्सन के साथ मिलकर 303 रन जोड़े और 186 रनों की बढ़त बनाई.

इस दौरान सातवें विकेट के लिए 179 रन, आठवें विकेट के लिए 41 रन, नौंवे विकेट के लिए 33 रन और आखिरी विकेट के लिए 57 रनों की साझेदारी हुई थी. वो भी भारत की उस गेंदबाजी क्रम के सामने जो अब तक के इतिहास में सबसे मजबूत मानी जा रही है.

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भारतीय गेंदबाजों के इस प्रदर्शन ने दो सवाल खड़े किये हैं. क्या भारतीय गेंदबाज 20 विकेट ले पाने में सक्षम है और दूसरा आखिर कब तक भारतीय गेंदबाज पुछल्ले बल्लेबाजों (TailEnders) की वजह से मैच गंवाते जाएंगे. आखिर कब तक वही गलतियां बार-बार दोहरा कर जीते हुए मैच को विपक्षी टीम की झोली में डालते जाएंगे.

यहां पर उठ रहे पहले सवाल का जवाब है कि जी हां भारतीय टीम बिल्कुल 20 विकेट लेने में सक्षम है, पर दूसरे सवाल का जवाब तो शायद खुद भारतीय टीम को भी नहीं पता.
कई मौकों पर भारतीय टीम ने विदेशी दौरों पर आसानी से मिल रही जीत को पुछल्ले बल्लेबाजों के हाथों हार में बदलने दिया है.

2014 में जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर थी तब ब्रिस्बेन टेस्ट के दौरान भारतीय ने पहली पारी में मुरली विजय (144) की मदद से 408 रनों का लक्ष्य खड़ा किया था, जिसके जवाब में ऑस्ट्रेलिया की टीम 247 रनों पर 7 विकेट खोकर संघर्ष करती नजर आ रही थी. लेकिन तभी भारतीय टीम ने वो गलती की जिसका खामियाजा उसे मैच में हार के नतीजे के साथ भुगतना पड़ा.

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रोहित शर्मा और ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज मिशेल जॉनसन के बीच मैदान पर कहा सुनी हो गई जिसके बाद इस बांए हाथ के बल्लेबाज ने 93 गेंदों पर 88 रन की पारी खेली और स्टीव स्मिथ के साथ 8वें विकेट के लिए 148 रन जोड़े. हालांकि इसके बाद दोनों की विकेटें जल्दी गिर गई, लेकिन इसके बाद मिचेल स्टॉर्क (52) नाथन लॉयन (23) ने मिलकर 52 रन की साझेदारी की और जॉश हेजलवुड (32*) के साथ 51 रन की पार्टनरशिप की.

एक बार फिर पुछल्ले बल्लेबाज भारतीय टीम पर भारी पड़े और दूसरी पारी में 195 रन पर धराशायी होने के बाद भारत को 4 विकेट से हार का सामना करना पड़ा.

2011 में भी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहुंची भारतीय टीम को पुछल्ले बल्लेबाजों ने परेशान किया और एक बार फिर जीत को भारतीय टीम से दूर ले गया. बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच के दौरान जेम्स पैटिन्सन, बेन हिल्फेनहॉस और नाथन लियोन ने मिलकर आखिरी 2 विकेटों के लिए महत्वपूर्ण 42 रन जोड़े जिसकी वजह से ऑस्ट्रेलिया की पारी 333 रन पर समाप्त हुई. इसकी बदौलत रनों का पीछा करने उतरी भारतीय टीम पहली पारी में 51 रन पहले ही आउट हो गई.

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वहीं दूसरी पारी में भी पैटिनसन ने 8वें विकेट के लिए 37 और माइकल हसी ने 9वें विकेट के लिए 31 रन और आखिरी विकेट के लिए हिल्फेनहॉस ने 43 रनों की साझेदारी की, जिसकी बदौलत भारत को एक बार फिर 122 रनों की हार का मुंह देखना पड़ा.

साल 2008 में भी सिडनी टेस्ट के दौरान ऑस्ट्रेलिया ने 463 रनों का पहाड़ सा लक्ष्य खड़ा कर दिया. भारत ने जवाब में 532 रन बनाए. लेकिन अंपायर की गलती से एंड्रयू सायमंड्स को मिले 3 जीवनदान और आखिरी के 5 विकेटों के लिए 327 रनों की साझेदारी की बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 401 रन बनाकर पारी घोषित कर दी और भारत के सामने 333 रनों का लक्ष्य रखा. जवाब में भारतीय टीम 210 रन पर ऑल आउट हो गई और एक बार फिर भारत को पुछल्ले बल्लेबाजों के चलते हार का सामना करना पड़ा.

हाल ही में इंग्लैंड दौरे पर भी भारत को इसी परेशानी का सामना करना पड़ा था, जहां सैम करन, मोइन अली, आदिल रशिद, मोइन अली और स्टुअर्ट ब्रॉड की अहम पारियों की बदौलत इंग्लैंड ने पहले बर्मिंघम और फिर साउथैम्पटन में हार का सामना करना पड़ा. भारत को पुछल्ले बल्लेबाजों के चलते सीरीज में 4-1 से हार का सामना करना पड़ा.

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अगर भारत इस बार वाकई में ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीत कर इतिहास रचना चाहता है तो उसे पुछल्ले बल्लेबाजों से अपनी मार खाने की आदत को सुधारना होगा और गेंदबाजी में सुधार करना होगा. वरना पिछले 70 सालों से चला आ रहा सूखा एक बार फिर जैसे का तैसा बना रहेगा.