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इन 3 बेहतरीन पारियों के बावजूद गौतम गंभीर को नहीं मिल पाया उचित सम्मान, जानें क्यों

अपने रिटायरमेंट की घोषणा करते हुए गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने कहा मेरे करियर का अंत वहीं होने जा रहा है, जहां (कोटला स्टेडियम) से मैंने शुरुआत की थी.

Updated on: 05 Dec 2018, 01:17 PM

नई दिल्ली:

भारत के दिग्गज ओपनर्स में से एक गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने मंगलवार को भारी मन के साथ क्रिकेट के हर फॉर्मेट को अलविदा कह दिया. अपने आक्रामक अंदाज और मैच को आगे ले जाने की शैली के लिए मशहूर यह खिलाड़ी आंध्र प्रदेश के खिलाफ 6 दिसंबर से शुरू हो रहे रणजी मुकाबले में अपने करियर का आखिरी मैच खेलेगा. कोटला पर होने वाले इस मैच में बोर्ड और डीडीसीए गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) को फेयरवेल देंगे.

अपने रिटायरमेंट की घोषणा करते हुए गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने कहा मेरे करियर का अंत वहीं होने जा रहा है, जहां (कोटला स्टेडियम) से मैंने शुरुआत की थी. एक बल्लेबाज के तौर पर मैंने टाइमिंग का सम्मान किया है. मेरे लिए यह संन्यास लेने का सही समय है और मुझे लगता है कि यह मेरे शॉट्स की तरह ही स्वीट है.

गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) भारतीय क्रिकेट इतिहास के उन दिग्गजों में से एक हैं जिन्होंने उन मौकों पर भारत के लिए अहम पारियां खेली जब भारत को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, फिर चाहे वो 2007 का विश्व कप का फाइनल मैच हो या फिर 2011 विश्व कप का.

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गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने अपने 37 साल के करियर में 58 टेस्ट और 147 एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले. उनके नाम टेस्ट में 4154 रन और वनडे में 5238 रन दर्ज हैं. वनडे में उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 150 रन है. उन्होंने 37 टी20 इंटरनैशनल मैच खेले जिनमें 27.41 के औसत से 932 रन बनाए.

गंभीर ने वनडे में 11 शतक और टेस्ट में 9 शतक जड़े. गंभीर ने 251 टी20 मैच खेले जिनमें 6402 रन बनाए और 53 अर्धशतक जड़े.

गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने आईपीएल में भी अपनी कप्तानी का लोहा मनवाया और कोलकाता नाइटराइडर्स को 2 बार चैंपियन बनाया. साल 2012 में चेन्नई सुपर किंग्स को फाइनल में हराकर और फिर ठीक 2 साल बाद किंग्स इलेवन पंजाब को हराकर कोलकाता नाइट राइडर्स दूसरी बार इस खिताब पर अपना कब्जा जमाया.

यह गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की ही कप्तानी का नतीजा था जिसमें दिल्ली की टीम 2007 में रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची और खिताब को अपने नाम करने में कामयाब रही.

गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने अपने करियर के दौरान कई बेहतरीन उपलब्धियां अपने नाम की, जिसे हासिल कर पाना किसी भी खिलाड़ी के लिए एक सपने से कम नहीं, हालांकि उनके इतने प्रयासों के बावजूद उन्हें वो सम्मान हासिल नहीं हुआ जिसके वो सही मायने में हकदार थे.

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2011 विश्व कप में खेली गई गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की पारी

उनकी यादगार पारियों में से एक विश्व कप 2011 के फाइनल में खेली गई 97 रनों की पारी थी, जो कि अंत में तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के 91 रनों की पारी के कारण खास स्थान हासिल नहीं कर पाई. भारत को विश्व विजेता बनाने वाली गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की इस पारी पर कप्तान की ओर से दिलाई जिताउ पारी भारी पड़ गई और इस यादगार पारी को वो उचित सम्मान नहीं मिल सका जो उस पारी को मिलना चाहिए था.

2007 T-20 विश्व कप में खेली गई गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की पारी

कुछ ऐसा ही 2007 में के भी फाइनल मैच में हुआ था जहां सारी भारतीय टीम संघर्ष करती नजर आ रही थी वहीं गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने 54 गेंदो में 75 रन की बेहतरीन पारी खेली, जिस कारण भारत के 157 रनों का लक्ष्य मिल पाया जिसे उसे बचाने के लिए भारतीय टीम को जद्दोजहद करना पड़ा. हालांकि इस मैच में भी आखिरी गेंद पर श्रीसंत ने जिस तरह से कैच पकड़ा उसने एक बार फिर से सारा ध्यान गंभीर की पारी से हटाकर उस कैच और धोनी की कप्तानी पर ला खड़ा कर दिया. यहां एक बार फिर गंभीर की उस पारी को वो सम्मान नहीं मिल पाया जिसके वो हकदार थे.

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2009 में नेपियर टेस्ट में खेली गई गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की पारी

कुछ ऐसा ही वाक्या तब हुआ था 2009 में भारत और न्यूजीलैंड के बीच नेपीयर टेस्ट मैच में भारत हार की कगार पर था. न्यूजीलैंड ने पहली पारी में 619 रन बनाकर पारी घोषित की जिसके जवाब में भारतीय टीम पहली पारी में 305 रनों पर सिमट गई. फॉलो ऑन का पीछा कर रही भारतीय टीम के लिए गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) संकट मोचक बने और मैच बचाने के लिए लगातार 8-9 घंटे बल्लेबाजी की और 436 गेंद खेलकर 137 रन बनाए. हालांकि गंभीर की यह पारी वीवीएस लक्ष्मण (124), राहुल द्रविड़ (220 गेंदों में 62 रन) और सचिन तेंदुलकर (131 गेंदों में 64 रन) की पारियों की बदौलत यह पारी एक बार फिर से दब गई.

गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) उन 9 भारतीय ओपनर्स में से एक हैं जिन्होंने टेस्ट में दोहरा शतक लगाया है. गंभीर इकलौते ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने 5 टेस्ट मैचों में लगातार 5 शतक लगाए हैं. वह ऐसा करने वाले चौथे खिलाड़ी हैं.

गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने 2010 और 2011 में 6 मैचों के लिए भारतीय टीम का नेतृत्व भी किया और इन सभी मैचों में भारतीय टीम को जीत हासिल हुई है.

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विदेशी दौरों पर गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) का प्रदर्शन देखने लायक होता था, सुनील गावस्कर और रवि शास्त्री वह तीसरे ऐसे खिलाड़ी थे जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में 40 से ज्यादा की औसत से रन बनाए (इन देशों में कम से कम 10 टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी).

इन देशों में गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) की बल्लेबाजी औसत विस्फोटक बल्लेबाज विरेंदर सहवाग से भी ज्यादा है. गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) को उनकी बल्लेबाजी के लिए 2009 में आईसीसी टेस्ट प्लेयर ऑफ द ईयर (ICC Test Player of the year Year 2009) का पुरस्कार भी दिया गया. 2008 में एक साल में सबसे अधिक वनडे शतक (Most ODI Centuries by Indian Player Year 2008) लगाने का कारनामा भी इन्हीं के नाम है.

2009 में उन्होंने यह कारनामा टेस्ट प्रारूप में किया था और एक साल में सबसे अधिक टेस्ट शतक (Most Test Centuries by Indian Player Year 2009) बनाए थे.

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गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने 2016 में भारत के लिए अंतिम टेस्ट मैच खेला था. उनका करियर 1999 में शुरू हुआ था. गंभीर ने टेस्ट मैचों में 41.95 के औसत से कुल 4154 रन बनाए और वनडे मैचों में उनके नाम 5238 रन रहे. गंभीर ने भारत के लिए 37 टी-20 मैच भी खेले.

गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) भारत के लिए सबसे बेहतरीन ओपनर्स में से एक रहे हैं, इतना ही नहीं 3 नंबर पर भी उनकी बल्लेबाजी का औसत देखने लायक रहा है. वह टेस्ट करियर के दौरान रैंकिंग में पहले पायदान तक का सफर तय कर चुके हैं.

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