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अफगानियों के लिए 'उम्मीद का खजाना' है क्रिकेट : भारत

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि आतंकवाद के घेरे में फंसे पाकिस्तान से प्रभावित अफगानिस्तान के लिए क्रिकेट 'उम्मीद का खजाना' का प्रतीक बन गया है।

Updated on: 28 Jun 2018, 05:50 PM

नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि आतंकवाद के घेरे में फंसे पाकिस्तान से प्रभावित अफगानिस्तान के लिए क्रिकेट 'उम्मीद का खजाना' का प्रतीक बन गया है।

अफगानिस्तान में भाषण देते हुए अकबरुद्दीन ने सुरक्षा परिषद को यह बात कही। सूफी के एक कवि रूमी का कथन है- 'वेयर देयर इस रुइन, देयर इस ऑल्सो होप फॉर ट्रेजर' और यहीं कथन अफगानिस्तान तथा क्रिकेट के आपसी संबंध को दर्शाता है।

अकबरुद्दीन ने कहा कि अफगानिस्तान की टीम क्रिकेट जगत में एक नई सनसनी बन गई है और वह आशा के प्रतीकों में से एक है।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की क्रिकेट टीम असाधारण सफलता हासिल कर रही है और यह तालिबान द्वारा देश में खेलों पर लगाए गए प्रतिबंध की यादों को लोगों के जहन से धुंधला करती जा रही है।

अकबरुद्दीन ने कहा कि अगले साल होने वाले विश्व कप टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाली अफगानिस्तान टीम ने जून में एम.चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए टेस्ट मैच के साथ क्रिकेट के सबसे लंबे प्रारूप में पदार्पण किया।

उन्होंने कहा, 'भारत में क्रिकेट के मैदानों को अपना घरेलू आधार बनाने वाली अफगानिस्तान टीम के खिलाड़ी निखर गए हैं। हालांकि, हमें उस दिन का इंतजार है जब हम भी उनके साथ उनकी सरजमीं पर क्रिकेट खेलेंगे।'

आतंकवादियों ने अफगानिस्तान के लोगों की अपने जीवन में वापसी की क्षमता को देखा है। तालिबान ने कई बार इन लोगों पर अत्याचार किए और कई जिंदगियां भी ली।

पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए अकबरुद्दीन ने कहा, 'इस प्रकार के हमले अफगानिस्तान के पड़ोस से योजना बनाकर किए जाते हैं, जहां इन लोगों के सुरक्षित अड्डे हैं।'

उन्होंने कहा, 'अंतर्राष्ट्रीय समुदायों द्वारा इन अत्याचारों को रोकने के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन अब भी कुछ लोग हैं जो तालिबान, हक्कानी नेटवर्क, आईएस, अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों के बुरे एजेंडों के समर्थन के लिए उन्हें क्षय दे रहे हैं।'

चेतावनी देते हुए अकबरुद्दीन ने कहा कि अफगानिस्तान की आतंकवाद संबंधी परेशानी एक वैश्विक चुनौती है, जो यह याद दिलाता है कि जहां इन आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकाने रहे हैं। उन्हीं ठिकानों से तालिबान के नेता मुल्लाह ओमार और ओसामा बिन लादेन को मार गिराया जा चुका है।

लादेन को अमेरिका की सेना 'नैवी सील्स' ने अबट्टोबाद में मार गिराया था और ओमार की कराची में मौत हो गई। पूरी दुनिया को उनकी तलाश थी।

अकबरुद्दीन ने कहा, 'हमें किसी दुर्घटना के घटने का इंतजार नहीं है, जो हमें याद दिलाए कि अफगानिस्तान को वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बने आतंकवाद को जड़ से मिटाने के लिए मजबूत अंतर्राष्ट्रीय समर्थन की जरूरत है।'

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