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चैंपियंस ट्रॉफी 2017: भारत-बांग्लादेश भिड़ेगें तो याद आएंगे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर, जानिए क्यों

क्रिकेट मैच में बांग्लादेश और भारत में मैदानी जंग शुरू होने से पहले ही दोनों देश एक ही कलम से लिखी हुआ राष्ट्रप्रेम का गीत अपने अपने वतन के लिए गाएंगे।

Updated on: 15 Jun 2017, 12:38 PM

नई दिल्ली:

कुछ लोग इस दुनिया में ऐसे भी हुए हैं जिन्होंने संस्कृति और परंपरा को बहुत कुछ दिया है, ऐसे ही थे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर। बांग्‍ला साहित्‍य का वह चेहरा जो भाषाई सीमाएं लांघती हुई देश, काल परिस्‍थिति से परे, पूरे राष्‍ट्र, विश्‍व लेखकीय समुदाय और विश्‍व साहित्‍य का चेहरा बन गईं।

आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में आज जब भारत-बांग्लादेश आमने-सामने होंगे और तो दोनों देशों के खिलाड़ी एक दूसरे के खिलाफ बेहतर प्रदर्शन करने का हर संभव प्रयास करेंगे तो एक चीज ऐसी भी होगी जो दोनों देशों में समान होगी।

क्रिकेट मैच में बांग्लादेश और भारत में मैदानी जंग शुरू होने से पहले ही दोनों देश एक ही कलम से लिखी गई राष्ट्रप्रेम की गीत को अपने-अपने वतन के लिए गाएंगे।

साल 1971 में शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में बना बांग्लादेश एक ऐसा देश है जिसके राष्ट्रगान के बोल को उसी शख्स ने लिखा जिसने भारत के राष्ट्रगान को लिखा है। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे बंग भंग के समय सन 1906 में लिखा था जब मजहब के आधार पर अंग्रेजों ने बंगाल को दो भागों में बांट दिया था। यह गीत बंगाल के एकीकरण के लिये माहौल बनाने के लिये लिखा गया था।

बाद में 1772 में इस गीत की प्रथम दस पंक्तियों को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया।

पढ़ें बांग्लादेश के राष्ट्रगान का हिन्दी अनुवाद


अमार शोनार बांग्ला बांग्लादेश का राष्ट्रगान और उसका हिन्दी अनुवाद

आमार शोनार बांग्ला
आमार शोनार बांग्ला,
आमि तोमाए भालोबाशी

(मेरा प्रिय बंगाल
मेरा सोने जैसा बंगाल,
मैं तुमसे प्यार करता हूँ)

चिरोदिन तोमार आकाश,
तोमार बताश,
अमार प्राने बजाए बाशी

(सदैव तुम्हारा आकाश,
तुम्हारी वायु
मेरे प्राणों में बाँसुरी सी बजाती है)

ओ माँ,
फागुने तोर अमेर बोने
घ्राने पागल कोरे
मोरी हए, हए रे

(ओ माँ,
वसंत में आम्रकुंज से आती सुगंध
मुझे खुशी से पागल करती है,
वाह, क्या आनंद)


ओ माँ,
ओघ्राने तोर भोरा खेते
अमी कि देखेछी मोधुर हाशी

(ओ माँ,
आषाढ़ में पूरी तरह से फूले धान के खेत
मैने मधुर मुस्कान को फैलते देखा है)