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छत्तीसगढ़ में अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा ने कराया आंतरिक सर्वे, मिला ये रिजल्ट

पांच सांसदों का परफॉर्मेंस कमजोर, जातिगत समीकरण के आधार पर टिकट देने का दिया सुझाव

Updated on: 05 Mar 2019, 01:30 PM

रायपुर:

छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने आंतरिक सर्वे कराया है. प्रदेश की सभी 11 लोकसभा सीट का सर्वे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की टीम ने किया है. इसमें केंद्र की योजनाओं के क्रियान्वयन से लेकर सांसद के परफार्मेंस का सर्वे किया गया है. सर्वे में पिछले चुनाव में जीते पांच सांसदों का परफार्मेंस कमजोर पाया गया है. इसके साथ ही दुर्ग लोकसभा में जातिगत समीकरण के आधार पर टिकट देने का सुझाव भी दिया गया है. भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के सदस्यों ने गोपनीय तरीके से एक महीने में सभी 11 सीटों का सर्वे किया है. पिछले चुनाव में कम अंतर से जीतने वाले सांसदों पर विशेष फोकस किया गया है.

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सरकार की प्रोग्रेसिव छवि

उधर विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद हुए सर्वे में मतदाताओं के मूड और मोदी इफेक्ट को लेकर भी राय ली गई है. विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के मुद्दे पर भी राय ली गई है. सर्वे में यह बात सामने आई है कि मोदी सरकार की उज्ज्वला, प्रधानमंत्री आवास योजना और स्वच्छता योजना को बेहतर रिस्पांस मिल रहा है. जनता के बीच केंद्र सरकार की प्रोग्रेसिव छवि उभरकर सामने आ रही है.

किसान सम्मान योजना

केंद्रीय संगठन ने राज्य सरकार की कर्जमाफी योजना के असर पर भी मतदाताओं से राय ली है. यही नहीं, किसान सम्मान योजना को प्रदेश की कर्जमाफी योजना के करीब खड़ा करने का सुझाव दिया गया है. किसानों की हितैषी दिखाने के लिए राज्य सरकार की ओर से कर्जमाफी को आगे किया जा रहा है. इसकी काट के रूप में चुनाव में भाजपा किसान सम्मान योजना को रखेगी.

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ओबीसी कार्ड

सभी 11 लोकसभा में जातिगत समीकरण के आधार पर भी सर्वे किया गया है. इसमें ओबीसी वर्ग को तीन से पांच सीट देने पर परिणाम बेहतर आने का अनुमान लगाया गया है. प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने ओबीसी कार्ड खेला है. इससे पहले के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की महासमुंद, रायपुर, बिलासपुर लोकसभा में ओबीसी उम्मीदवार को जीत मिली थी. इस बार भी यहां इसी समीकरण के आधार पर टिकट देने की बात कही गई है. 

चुनाव हारे नेताओं को टिकट नहीं

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव में हारे नेताओं को टिकट नहीं देने की सिफारिश की गई है. इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वालों को जनता ने नकार दिया है. कई नेता दो से तीन चुनाव हारने के बाद भी उम्मीदवार बनाए गए थे. अब वे लोकसभा के लिए दावेदारी कर रहे हैं. ऐसे में जनता की नाराजगी को दूर करने के लिए इनसे दूरी बनाई जाए. 

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छत्तीसगढ़ में लोकसभा की कुल 11 सीटें हैं. पिछले दो चुनाव से भाजपा के दस-दस सांसद जीत रहे हैं. इसमें रायपुर से रमेश बैस, महासमुंद से चंदूलाल साहू, बस्तर से दिनेश कश्यप, कांकेर से विक्रम उसेंडी, राजनांदगांव से अभिषेक सिंह, बिलासपुर से लखन साहू, कोरबा से बंशीलाल महतो, रायगढ़ से विष्णुदेव साय, जांजगीर से कमला देवी पटले और सरगुजा से कमलभान सिंह ने जीत दर्ज की है.

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वहीं कांग्रेस ने इस आंतरिक सर्वे पर चुटकी लेते हुए कहा कि प्रत्याशी बदलने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा 11 की 11 लोकसभा सीट पर बीजेपी की हार तय है. जनता ने बीजेपी को नकार दिया है जिस तरह से 15 सालों में भय और आतंक का माहौल पूरे प्रदेश में बना रखा था जनता ने उसके खिलाफ विधानसभा में वोट किया था. अब जनता लोकसभा में भी बीजेपी के खिलाफ वोट करेगी.