छत्तीसगढ़: BJP के 'पतझड़' में भीमा मंडावी ने खिलाया था कमल, बस्तर टाइगर को हराकर बने थे आंखों का तारा
भीमा मंडावी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बस्तर टाइगर यानी महेंन्द्र कर्मा को हराकर की थी. वो अपने क्षेत्र में खासे लोकप्रिय थे
नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ में बस्तर टाइगर को हराने वाले बीजेपी विधायक भीमा मंडावी ने दंतेवाड़ा में नक्सली हमले (Naxal Attack) में अपनी जान गंवा दी. मंगलवार को दंतेवाड़ा (Dantewada) में नक्सलियों ने बीजेपी विधायक के काफिले पर हमला कर दिया. इस हमले में विधायक भीमा मंडावी (Bhima Mandavi) की मौत हो गई, जबकि सुरक्षा में लगे पांच जवान भी शहीद हो गए. भीमा मंडावी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत बस्तर टाइगर यानी महेंन्द्र कर्मा को हराकर की थी. वो अपने क्षेत्र में खासे लोकप्रिय थे.
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बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा तब कांग्रेसी सियासत के एक बड़े नेता के तौर पर गिने जाते थे. लेकिन साल 2008 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पहली बार चुनाव लड़ने मैदान में उतरे भीमा मंडावी ने उन्हें करारी शिकस्त दी. इस जीत के साथ ही भीमा मंडावी (Bhima Mandavi) को बीजेपी ने लगातार हाथों हाथ लिया. हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में जहां बस्तर में बीजेपी सभी सीटों में हार गई तो महज दंतेवाड़ा सीट में कमल खिला. भीमा मंडावी बीजेपी के अकेले विधायक बचे थे.
पूरे सूबे में हार का स्वाद चखने वाली बीजेपी के लिए भीमा मंडावी उन 15 विधायकों में से एक थे, जो जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. वैसे उनके सियासी कद बढ़ने का सिलसिला तो तभी शुरू हो गया था, जब वे कांग्रेस के दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा को हराकर इस सीट पर बीजेपी का खाता खोलने में कामयाब रहे थे.
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भीमा मंडावी (Bhima Mandavi) ने अपने सियासी कैरियर की शुरूआत बजरंग दल से की थी. एक कार्यकर्ता के तौर पर वो सबसे पहले अपने गृहग्राम दंतेवाड़ा के पंचायत सचिव बने और साल 2007 तक इस पद में बने रहे. तब पंचायत सचिव संघ के भी जिलाध्यक्ष रहे. इसके बाद 2008 में महेंद्र कर्मा को हराकर पहली बार विधायक बने थे.
हालांकि बाद में झीरम घाटी नक्सली हमले में महेंद्र कर्मा की मौत के बाद साल 2013 में कर्मा की पत्नी देवती कर्मा से वे चुनाव हार गए थे. लेकिन 2018 के चुनाव में देवती कर्मा को हटाकर अपनी सीट बरकरार रखी. महज 15 विधायकों वाले सदन में बीजेपी ने मंडावी को विधानसभा में उपनेता बनाया.
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भीमा मंडावी (Bhima Mandavi) का सियासी करियर एक ओर लगातार बढ़ रहा था, लेकिन दूसरी तरफ व्यक्तिगत जीवन में दर्द और तकलीफों का सिलसिला जारी रहा. साल 2012 में भीमा मंडावी की पत्नी की सड़क हादसे में मौत हो गई. इसके अगले ही साल बेटी ने भी 2013 में आत्महत्या कर ली. इन तमाम व्यक्तिगत उलझनों के बीच दो साल बाद 2015 में मंडावी ने दूसरी शादी की. विधायक मंडावी के चार बच्चे हैं, जिसमें पहली से एक और दूसरी से तीन हैं.
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