छत्तीसगढ़ के कोंटा में CRPF के एक और जवान ने खुद को मार ली गोली
छत्तीसगढ़ में ऐसा क्या हो रहा है की एक के बाद एक जवान आत्महत्या कर रहे हैं.
रायपुर:
छत्तीसगढ़ में ऐसा क्या हो रहा है की एक के बाद एक जवान आत्महत्या कर रहे हैं. चुनाव के दौरान 3 जवानों ने आत्महत्या की और आज सुबह सुकमा के कोंटा में पदस्थ 219 बटालियन के सीआरपीएफ (CRPF) जवान सरताज सिंह ने खुद को गोली मार ली. साथी जवानों के द्वारा अस्पताल ले जाया गया जहां पर डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. सरताज सिंह हिमाचल प्रदेश के रहने वाले थे.
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नक्सली बीहड़ों में जाकर ऐसी क्या परिस्थितियां आ जाती है कि लगातार जवान अपनी जीवन लीला समाप्त कर रहे हैं. इसमें सबसे ज्यादा सीआरपीएफ के ही जवान हैं. उस इलाके में मोबाइल नेटवर्क के दिक्कतें हैं. मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. अपने परिवार से जवान बात तक नहीं कर पाते. मोबाइल नेटवर्क के चलते यह सब कारण है. आत्महत्या के इस मामले में बेहद गंभीरता से सोचने की जरूरत है.
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शासन प्रशासन को जो जवान नक्सलियों के खिलाफ मोर्चा संभालने आए हैं. वह आखिर यहां आकर फेल क्यों हो रहे हैं. एसपी सुकमा अभिषेक मीणा ने इस घटना की पुष्टि की है और यह भी कहा है कि इस पूरे मामले की जांच करवाई जा रही है. गोरखा बटालियन के इस जवान का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और उसके बाद रायपुर रवाना किया जाएगा जहां से उसे उसके गृह ग्राम भेजा जाएगा.
2017 में 36 सुरक्षाकर्मियों ने की थी आत्महत्या
छत्तीसगढ़ के माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में तैनात सुरक्षाकर्मियों द्वारा आत्महत्या करने के मामले बढ़ोत्तरी हुई है. 2017 में 36 सुरक्षाकर्मियों ने आत्महत्या कर ली थी. यह पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक है.मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक छत्तीसगढ़ में पिछले एक दशक में सुरक्षाकर्मियों की आत्महत्या का सबसे अधिक आंकड़ा है और किसी एक साल का भी सबसे बड़ा आंकड़ा है. राज्य पुलिस और सीएपीएफ कर्मियों की आत्महत्या की सबसे ज्यादा संख्या 2009 में 13 थी.
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छत्तीसगढ़ पुलिस के आंकड़ों की मानें तो 2007 से 2017 तक 115 से ज्यादा आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं. छत्तीसगढ़ के 17 जिले वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित हैं. सूत्रों का कहना है कि जवानों की आत्महत्या के प्रमुख वजहों में कठोर परिस्थितियों में काम, छुट्टी प्राप्त करने में कठिनाई, अवसाद और एक मामले में भाई का विवाह और होम सिकनेस हैं.
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