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एशिया के दूसरे सबसे बड़े महागिरजाघर में इस बार अनोखे अंदाज में बनाया जाएगा क्रिसमस

एशिया के दूसरे सबसे बड़े महागिरजाघर में इस बार क्रिसमस का त्यौहार नए संदेश के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है,

Updated on: 24 Dec 2018, 03:47 PM

जशपुर:

एशिया के दूसरे सबसे बड़े महागिरजाघर में इस बार क्रिसमस का त्यौहार नए संदेश के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है, जहां परिवार के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाएगा. इसके लिए तैयारी पूरी की जा चुकी है. खास बात यह कि परिवार नवीनीकरण वर्ष के साथ पर्यावरण संरक्षण के सन्देश के साथ ख्रीस्त समुदाय इस बार क्रिसमस का त्यौहार मना रहे हैं. फादरटी केरकेट्टा बताते हैं कि इस बार भी क्रिसमस को लेकर पुरे जशपुर धर्म प्रान्त में उत्साह का माहौल है.

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आपको बता दें कि जशपुर के कुनकुरी में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है इस महागिरजा घर की खासियत यह है कि इसमें एक साथ लगभग आठ हजार लोग एक ही समय में और एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं . यहां क्रिसमस की सारी तैयारी कर ली गई हैं. जीजस के जीवंत जन्म का चित्रण किया गया है वहीं चर्च को आकर्षक तरीके से सजाया गया है
ख्रीस्त समुदाय के द्वारा इस वर्ष परिवार नवीनीकरण वर्ष मनाया जा रहा है जिसमे क्रिसमस के इस त्यौहार में हर परिवार के लोग अपने घरों में आयेंगे और एक साथ मिलकर त्यौहार को मानाएंगे. खास बात यह भी है कि बनावटी क्रिसमस ट्री के स्थान पर एक पौधा लगाकर उसकी सतत सेवा करने की सोच इस बार ख्रीस्त समुदाय के द्वारा की गई है जो पर्यावरण संरक्षण का सन्देश देगी. 

एशिया के दूसरे बड़े चर्च की खासियत

कुनकुरी के महागिरजा घर की नींव सन 1855 में बेल्जियम से आये एक ईसाई धर्म के प्रचारक पुरोहित द्वारा रखी गयी थी सुरु में यह रांची धर्म प्रान्त के अंतर्गत था धीरे धीरे इस इलाके में बहुतायत से ईसाई धर्म को मानने वाले श्रद्धालु इक्कट्ठे होते गए और इसे रायगढ़ धर्मप्रांत में शामिल कर लिया गया. बताया जाता है की इस बड़े और भव्य महागिरजा की कल्पना बेल्जियम के पुरोहित ने की थी और उसे मूर्त रूप देने के लिए वेटिकन सिटी से एक खास शिल्पकार जॉन कूशप को बुलाया गया था. जॉन कुशप ने यहाँ के कई जाने माने शिल्पकार की मदद से सन 1862 में काम शुरू किया और यह काम करने में लगभग नब्बे साल लग गए तब कहीं जाकर सन 1959 में यह महागिरजा घर पूर्ण रूप से तैयार हो पाया.