Chhattisgarh Elections Results 2018: 15 साल बाद रमन सिंह सरकार का सूपड़ा साफ, जानें हार के 5 कारण
Chhattisgarh Assembly Elections:इन रुझानों ने विधानसभा परिणामों की तस्वीर करीब-करीब साफ कर दी है. चुनाव आयोग के अनुसार अब तक की मतगणना के अनुसार कांग्रेस को 43.6%, बीजेपी 32.1% और JCCJ को करीब 8.6% वोट मिला.
नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों पर मंगलवार को जारी मतगणना के अब तक के रुझानों में कांग्रेस को बड़ी बढ़त मिली हुई है। (2:00 PM) कांग्रेस 67 सीटों पर आगे चल रही है जबकि भाजपा 16 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। अन्य को यहां 7 सीटों पर बढ़त हासिल है। राजधानी रायपुर की सभी 7 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। रायपुर जिले की दो सीटों रायपुर पश्चिम पर राजेश मूणत और रायपुर दक्षिण से बृजमोहन अग्रवाल पीछे चल रहे हैं।
इन रुझानों ने विधानसभा परिणामों की तस्वीर करीब-करीब साफ कर दी है.
चुनाव आयोग के अनुसार अब तक की मतगणना के अनुसार कांग्रेस को 43.6%, बीजेपी 32.1% और JCCJ को करीब 8.6% वोट मिला. छत्तीसगढ़ विधानसभा की 90 विधानसभा सीटों पर 76.3 फीसदी मतदान हुए हैं. कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है.
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पिछले 15 सालों से सत्ता में काबिज बीजेपी के लिए इस तरह की हार लोकसभा चुनाव से पहले बड़े झटके के रूप में हैं. आइये एक नजर बीजेपी को इन चुनावों में मिली हार के पीछे के कारणों पर डालते हैं.
1. एंटी इनकंबेंसी
2003 से राज्य में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी को इस बार राज्य में एंटी इन्केंबंसी का सामना करना पड़ा. चुनाव से पहले ही रमन सिंह के खिलाफ माहौल दिख रहा था, जिसका रुख एग्जिट पोल ने भी दिखाया था. हालांकि, किसी को भी ये उम्मीद नहीं थी कि बीजेपी के गढ़ कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में रमन सिंह का इस तरह सूपड़ा साफ होगा.
2. रमन सरकार से किसानों की नाराजगी
राज्य में चावल वाले बाबा के नाम से मशहूर रमन सिंह पर इस बार किसानों की नाराजगी भारी पड़ गई. रमन सरकार के खिलाफ किसानों का यह गुस्सा विधानसभा में मतदान के जरिए निकला. किसान लगातार फसलों के दाम को लेकर बीजेपी के खिलाफ प्रदर्शन करता आया है, जिसका जबर्दस्त नुकसान चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को उठाना पड़ा.
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3. आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ में कुल 31.8 फीसदी मतदाता आदिवासी समुदाय से हैं और 11.6 फीसदी वोटर दलित हैं, यानी राज्य की सत्ता की चाबी उनके पास ही है. अभी तक आए रुझानों में दलित-आदिवासी बहुल इलाकों में बीजेपी को बुरी हार मिलती दिख रही है. जबकि बीजेपी सिर्फ शहरी इलाकों में ही अच्छा प्रदर्शन कर रही है.
4. चल गया कांग्रेस का कर्जमाफी का स्ट्रोक
राज्य में किसान रमन सिंह की सरकार से नाराज था. इसका फायदा कांग्रेस ने पूरी तरह उठाया. कांग्रेस के घोषणापत्र में किया गया किसानों की कर्जमाफी के वायदे ने मास्टरस्ट्रोक की तरह काम किया. यही कारण रहा है कि पूरे राज्य में कांग्रेस लहर दिखी.
5. नक्सलवाद पर लगाम लगा पाने में नाकाम रही रमन सरकार
रमन सिंह की हार का बड़ा कारण नक्सलवाद पर लगाम लगा पाने में नाकामी भी रही. नक्सलवादी क्षेत्रों में लगातार हमले होते गए और इस बार इन क्षेत्रों में बंपर मतदान भी हुआ. जाहिर है कि नतीजे बता रहे हैं कि ये बंपर वोटिंग रमन सिंह की सरकार के खिलाफ ही थी. नक्सलवादी क्षेत्रों में बक्सर, दंतेवाड़ा जैसी सीटें आती हैं.
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छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण में 12 नवंबर को नक्सल प्रभावित 18 विधानसभा सीटों पर और दूसरे चरण में 20 नवंबर को 72 सीटों पर वोटिंग हुई. कांग्रेस-बीजेपी दोनों दलों के लिए ये चुनाव करो-मरो की तरह हैं.
बता दें कि बीजेपी के रमन सिंह लगातार 3 बार से यहां मुख्यमंत्री हैं. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 49 सीटें मिली थीं, वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को 41 सीटों से संतोष करना पड़ा था. हालांकि दोनों पार्टियों के बीच 1 फीसदी से कम वोट शेयर का अंतर था.
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