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भूपेश बघेल की सरकार पर उम्‍मीदों का बोझ, एक लाख करोड़ की सीमा लांघ सकता है छत्तीसगढ़ का वार्षिक बजट

आज छत्‍तीसगढ़ को नया मुख्‍यमंत्री मिल जाएगा. भूपेश बघेल की ताजपोशी के साथ ही उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी कांग्रेस के घोषणा पत्र को पूरा करना.

Updated on: 17 Dec 2018, 08:02 AM

नई दिल्‍ली:

आज छत्‍तीसगढ़ को नया मुख्‍यमंत्री मिल जाएगा. भूपेश बघेल की ताजपोशी के साथ ही उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी कांग्रेस के घोषणा पत्र को पूरा करना. कांग्रेस के 'वचन पत्र' में किसानों की कर्ज माफी सबसे बड़ा वादा था. अब इसे दस दिन पूरा करना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी. चुनावी वादों को पूरा करने लिए नए वित्तीय वर्ष में छत्तीसगढ़ का वार्षिक बजट एक लाख करोड़ की सीमा लांघ सकता है. दो अनुपूरक बजट के साथ चालू वित्तीय वर्ष का बजट ही करीब 90 हजार करोड़ रुपये पहुंच चुका है. ऐसे में अगर 10 फीसद की स्वभाविक वृद्धि भी होगी तो यह लाख करोड़ की सीमा पार सकता है. सत्ता में आई कांग्रेस के वादों को भी इस बजट में शामिल किया जाएगा. इससे बजट पर पांच से सात हजार करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा.

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वित्त विभाग के अफसरों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 के बजट की कवायद पहले से चल रही है. अब नई सरकार के घोषणा पत्र के हिसाब से उसमें थोड़ा बदलाव किया जाएगा. अफसरों के अनुसार मौजूदा योजनाओं- परियोजनाओं और निवर्तमान सरकार के हिसाब में ही बजट लाख की सीमा लांघ रहा था. कांग्रेस के सत्ता में आने से इसमें और बढ़ोतरी की संभावना है. अफसरों के अनुसार नए बजट पर अभी सचिव स्तरीय चर्चा हो रही है, लेकिन नई सरकार के आने से मंत्री स्तरीय चर्चा के दौरान इसमें व्यापक बदलाव की उम्मीद की जा रही है.

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अफसरों के अनुसार बजट का आकार बढ़ने से राजकोषीय घाटा बढ़ने का खतरा रहेगा. ऐसे में वित्त विभाग को बजट बनाते समय बाजीगरी करनी पड़ेगी. जानकारों के अनुसार राज्य सरकार नए वित्तीय वर्ष में 80 हजार करोड़ रुपये तक की आय का अनुमान है. इसमें केंद्रीय योजनाओं के तहत प्राप्त होने वाली राशि भी शामिल है.

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विभागीय अफसरों के अनुसार कांग्रेस ने धान समेत अन्य कृषि उत्पादों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी का वादा किया है. केंद्र सरकार से राज्य को तय कीमत ही मिलेगी, ऐसे में अतिरिक्त राशि की व्यवस्था राज्य सरकार को करनी पड़ेगा. बताया जा रहा है कि धान खरीद में ही करीब 750 रुपये प्रति क्विंटल का भार पड़ेगा. 70 लाख टन धान खरीदी के लिहाज से यह आंकड़ा करीब 1033 करोड़ तक पहुंच रहा है.

रमन सरकार कृषि पंपों को छह से साढ़े सात हजार यूनिट तक बिजली मुफ्त दे रही थी. इसकी सब्सिडी के लिए दो हजार 975 करोड़ रुपये का प्रवधान चालू बजट में किया गया था. योजना के तहत चार लाख 52 हजार किसानों को लाभ देने का दावा है. वहीं, कांग्रेस सरकार ने बिजली हाफ करने का वादा किया है इससे करीब इतना और बजट बढ़ जाएगा.

मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए बजट में 446 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. फिलहाल योजना के तहत एक वर्ष में 50 हजार रुपये तक के इलाज की सुविधा है. तीन हजार करोड़ खर्च होगा कर्ज माफी पर. बरोगजारी भत्ता के लिए हर महीने 250 करोड़. जानकारों के अनुसार बेरोजगारी भत्ता व आउट सोर्सिंग खत्म करने के लिए भी बड़े बजट की जस्र्रत है. इसी तरह पेंशन समेत अन्य इस तरह की योजनाओं को कांग्रेस तत्काल लागू करेगी. इससे भी बजट का आकार बढ़ेगा.