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सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम (SCSS 2019) को लेकर मोदी सरकार ने किया बड़ा बदलाव, जानें इसकी खास बातें

वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम 2019 (Senior Citizen Saving Scheme 2019-SCSS) को अधिसूचित कर दिया है.

Updated on: 19 Dec 2019, 01:38 PM

नई दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों (Senior Citizen) से जुड़ी एक स्कीम में बदलाव कर दिया है. वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम 2019 (Senior Citizen Saving Scheme 2019-SCSS) को अधिसूचित कर दिया है. SCSS 2019 ने SCSS Rules 2004 का स्थान ले लिया है. बता दें कि इस स्कीम में न्यूनतम 1 हजार रुपये और अधिकतम 15 लाख रुपये रकम जमा कर सकते हैं. इस स्कीम के तहत 5 साल के लिए पैसा निवेश किया जा सकता है. मैच्योरिटी के बाद इस स्कीम को 3 साल के लिए और बढ़ाया जा सकता है. जानकारी के मुताबिक नए नियम लागू होने से पहले से चल रहे अकाउंट पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा.

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सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम पर सालाना 8.6 फीसदी ब्याज
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (SCSS) में निवेश की गई पूंजी पर सालाना 8.6 फीसदी का ब्याज मिल रहा है. बता दें कि वित्त मंत्रालय हर तीन महीने में इस योजना को ब्याज दर की समीक्षा करता है. हालांकि इस ब्याज पर टैक्स देना होता है. अगर ब्याज की रकम 10,000 रुपये सालाना से ज्यादा हुई तो आपको टैक्स देना होगा. इस स्कीम के तहत निवेश करने पर 1 अप्रैल 2007 से इनकम टैक्स एक्ट 1961 (Income Tax Act, 1961) के सेक्शन 80C के अंतर्गत टैक्स छूट का लाभ मिल रहा है.

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रिटायरमेंट के बाद खोल सकते हैं अकाउंट
वरिष्ठ नागरिक रिटायरमेंट के बाद SCSS अकाउंट को खोल सकते हैं. 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के बाद अकाउंट खोला जा सकता है. VRS लेने वाला व्यक्ति जो कि 55 वर्ष से अधिक लेकिन 60 वर्ष से कम है वो भी इस अकाउंट को खोल सकता है. इस अकाउंट की मैच्योरिटी पीरियड 5 वर्ष की है. इस अकाउंट को नकद और चेक के जरिए खोला जा सकता है. 1 लाख रुपये से कम के नकद रकम पर इस अकाउंट को खोला जा सकता है. अगर 1 लाख रुपये से अधिक रकम से आप अकाउंट खोलना चाहते हैं तो चेक देना अनिवार्य है.

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Senior Citizen Saving Scheme 2019 अकाउंट की 5 साल की परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद 3 साल का एक्सटेंशन भी मिलता है. हालांकि ब्याज दर में कोई भी बदलाव नहीं होता है. मतलब यह कि मैच्योरिटी के पहले जो ब्याज मिल रहा था, वहीं ब्याज मिलता रहेगा.