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म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करने जा रहे हैं तो इस बात का ध्यान जरूर रखें

निवेश के अन्य उपायों की ही तरह म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में भी निवेश से पहले काफी सतर्कता बरतनी जरूरी है. ऐसे में अगर आपने कुछ खास बातों पर ध्यान नहीं दिया तो निवेशकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

Updated on: 16 Dec 2019, 11:20 AM

नई दिल्ली:

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश को लेकर निवेशक काफी आशान्वित रहते हैं. मार्केट एक्सपर्ट भी म्यूचुअल फंड (MF) में इनवेस्टमेंट को लेकर निवेशकों को समझाते रहते हैं कि एसआईपी (SIP) के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करके लॉन्ग टर्म में अच्छा पैसा इकट्ठा किया जा सकता है. ज्यादातर समय उसके सकारात्मक पक्ष की ही बात की जाती है. सामान्तया देखा गया है कि मार्केट खराब होने पर निगेटिव रिटर्न को लेकर निवेशकों को आगाह नहीं किया जाता है.

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ऐसा माना जाता है कि म्यूचुअल फंड में निवेश एक समझदारी भरा कदम है, लेकिन ऐसा है क्या. दरअसल, निवेश के अन्य उपायों की ही तरह म्यूचुअल फंड में भी निवेश से पहले काफी सतर्कता बरतनी जरूरी है. ऐसे में अगर आपने कुछ खास बातों पर ध्यान नहीं दिया तो निवेशकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर कई ऐसा बातें हैं जिसका सभी निवेशकों को जानना बेहद जरूरी है.

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निवेश में दखल नहीं दे सकते निवेशक
निवेशकों को म्यूचुअल फंड में निवेश के बाद उस फंड पर राय देने या फंड्स में कुछ भी बदलाव करने का विकल्प नहीं मिलता है, जबकि इसके विपरीत शेयर में निवेशक अपनी इच्छा के अनुसार निवेश का फैसला ले सकता है. म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर द्वारा निवेश का फैसला लिया जाता है. म्यूचुअल फंड स्कीम में हजारों निवेशकों के पैसा एक साथ निवेश किया जाता है. म्यूचुअल फंड में निवेश के बाद उसकी पूरी जिम्मेदारी फंड मैनेजर की होती है.

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विकल्प का चुनाव करना काफी मुश्किल
मार्केट में म्यूचुअल फंड हाउस की ओर से काफी स्कीम उपलब्ध हैं. निवेशकों को इनके बीच सही स्कीम का चुनाव करने के लिए काफी दुविधा रहती है. अलग-अलग कैटेगरी में एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के ढेर सारे फंड्स की मौजूदगी से निवेशक के लिए फैसला लेना काफी मुश्किल हो जाता है.

लागत कम करने के लिए निवेशक के पास विकल्प नहीं
फंड हाउस द्वारा म्यूचुअल फंड के स्कीम में काफी निवेशकों का पैसा एक साथ निवेश किया जाता है. इस स्थिति में निवेशक के पास लागत को कम करने का कोई भी विकल्प नहीं होता है. बता दें कि सेबी (SEBI) ने एक्सपेंस रेश्यो को लेकर कई नियम बना रखे हैं, लेकिन निवेशकों को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. म्यूचुअल फंड्स में निवेश को लेकर कितना जोखिम है इसकी जानकारी निवेशकों को नहीं मिल पाती है. निवेशकों को अपने मेहनत की कमाई को फंड हाउस और फंड मैनेजर के भरोसे छोड़ना पड़ता है.

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(Disclaimer: निवेशक निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर लें. न्यूज स्टेट की खबर को आधार मानकर निवेश करने पर हुए लाभ-हानि का न्यूज स्टेट से कोई लेना-देना नहीं होगा. निवेशक स्वयं के विवेक के आधार पर निवेश के फैसले लें)