क्या होता है डीमैट अकाउंट (Demat Account) और शेयर बाजार (Share Market) में ट्रेडिंग के लिए क्यों है जरूरी
टेडर्स जो भी शेयर्स (Share) या बॉन्ड (Bomd) खरीदते हैं उसे ही डीमैट (Demat Account) में जमा किया जाता है.
highlights
- देश में मौजूदा समय में दो डिपॉजिटरीज CDSL, NSDL काम कर रही हैं
- डीमैट अकाउंट में शेयर्स (Share) या बॉन्ड (Bomd) जमा किया जाता है
- डीमैट अकाउंट में शेयर्स जमा रहने से इनकी खरीद-बिक्री तेजी से संभव
नई दिल्ली:
अगर आप शेयर बाजार में निवेश करने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए डीमैट अकाउंट (Demat Account) खुलवाना जरूरी है. आपके पास सेविंग अकाउंट (Saving Account) है इसके बावजूद डीमैट अकाउंट क्यों खुलवाना जरूरी है. इसके अलावा और इसकी उपयोगिता क्या है. उन सभी बातों को सरल भाषा में समझने का प्रयास इस रिपोर्ट में करेंगे.
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क्या है डीमैट अकाउंट - What is Demat Account
मान लीजिए कि आपके पास बचत खाता (Saving Account) है और उसमें आप आप अपना पैसा जमा करते हैं. वहीं डीमैट अकाउंट में आप पैसा नहीं जमा कर सकते. टेडर्स जो भी शेयर्स (Share) या बॉन्ड (Bomd) खरीदते हैं उसे ही डीमैट में जमा किया जाता है. डीमैट अकाउंट में शेयर्स जमा रहने की वजह से निवेशक इनकी खरीद-बिक्री तेजी से कर सकते हैं. गौरतलब है कि करीब 30 वर्ष पहले डीमैट की सुविधा नहीं थी, उस समय शेयर पेपर फॉर्म में निवेशकों के घर पर पहुंचाए जाते थे. डीमैट के आने के बाद शेयर को डीमैट में ट्रांसफर होने में 1 दिन समय लगता है. इस तरह से Demat Account आपके शेयर, बॉन्ड और म्यूचुअल फंड का हिसाब रखता है.
शेयरों की खरीद-बिक्री में डीमैट की भूमिका - Role of Demat in Share Trading
शेयर्स की खरीद-बिक्री में डीमैट अकाउंट की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है. किसी शेयर की खरीद होने के बाद शेयर का हिसाब एक डीमैट अकाउंट से हटाकर दूसरे डीमैट अकाउंट में जोड़ दिया जाता है. हालांकि बैंक अकाउंट के मुकाबले डीमैट अकाउंट की कार्यप्रणाली थोड़ी कठिन है. हर किसी को इस प्रक्रिया को समझने में दिक्कत होती है. बता दें कि शेयर्स की हैंडलिंग (Handling) और स्टोरेज (Storage) का हिसाब-किताब डिपॉजिटरी (Depository) करती है.
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डिपॉजिटरी (Depository) के पास जमा होते हैं सभी शेयर्स
डिपॉजिटरी (Depository) के पास सभी कंपनियों के शेयर्स जमा होते हैं. डिपॉजिटरी कंपनी के जमा शेयरों को उसके खरीदारों के नाम पर डीमैट में दर्ज कर देती है. सौदा होने की स्थिति में डिपॉजिटरी लेन-देन करने वाले डीमैट अकाउंट के रिकॉर्ड में बदलाव करती है. शेयर बेचने वाले के डीमैट अकाउंट से उतने शेयर हटा दिए जाते हैं. वहीं खरीदने वाले ग्राहकों के डीमैट अकाउंट में उसे जोड़ दिया जाता है. भारत में फिलहाल दो डिपॉजिटरीज CDSL, NSDL काम कर रही हैं. दोनों ही डिपॉजिटरी में भारत सरकार की हिस्सेदारी है.
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