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चीन (China) के इस फैसले से भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में लौटी रौनक

चीन के Extradition बिल को वापस लेने के फैसले के बाद हॉन्गकॉन्ग, भारत समेत सभी एशियाई शेयर बाजारों में जोरदार तेजी देखने को मिली है.

Updated on: 04 Sep 2019, 03:48 PM

नई दिल्ली:

चीन (China) के ताजा फैसले से भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजारों में रौनक दिखाई देने लगा है. दरअसल, चीन ने विवादास्पद Extradition बिल को वापस लेने का फैसला किया है. चीन के इस फैसले के बाद हॉन्गकॉन्ग शेयर बाजार (Hong Kong Stock Market) में जोरदार तेजी देखने को मिली है. वहीं सभी एशियाई शेयर बाजारों में भी हरे निशान में कारोबार होते हुए देखा गया है. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) में भी तेजी दर्ज की जा रही है. बुधवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) 161.83 प्वाइंट की जोरदार तेजी के साथ 36,724.74 के स्तर पर बंद हुआ.

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शेयर बाजार को मिलेगी राहत: एक्सपर्ट्स
जानकारों के मुताबिक चीन के इस फैसले से मंदी का सामना कर रहे शेयर बाजारों को थोड़ी राहत मिलती हुई दिख रही है. बता दें कि अमेरिका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर (Trade War) का असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर पड़ रहा है. ऐसे में यह खबर राहत देने वाली है. बता दें कि दुनियाभर की नजर अमेरिका-चीन के ट्रेड वॉर के अलावा हॉन्गकॉन्ग में हो रहे प्रदर्शन पर भी थी. गौरतलब है कि चीन ने हॉन्गकॉन्ग में हो रहे प्रदर्शन के लिए अमेरिका के जुड़े होने का भी आरोप लगाया है. दुनियाभर में हॉन्गकॉन्ग पांचवा बड़ा शेयर मार्केट है और उसका मार्केट कैपिटलाइजेशन करीब 3.93 लाख करोड़ डॉलर है, जबकि भारतीय शेयर बाजार दुनिया में 10वें स्थान पर है.

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क्या है मामला
कुछ समय पहले हॉन्गकॉन्ग प्रशासन एक विधेयक लाया था. इस विधेयक के अनुसार हॉन्गकॉन्ग के किसी व्यक्ति के चीन में अपराध या प्रदर्शन करने पर उसके खिलाफ हॉन्गकॉन्ग के बजाए चीन में मुकदमा चलाने की बात कही गई थी. इस फैसले के विरोध में हॉन्गकॉन्ग के युवा सड़कों पर उतर आए थे. लाखों की तादाद में युवाओं ने इस विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन किया था. बता दें कि हॉन्गकॉन्ग आधिकारिक तौर पर चीन का विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है. '1 देश 2 नीति' के तहत हॉन्गकॉन्ग की अपनी मुद्रा, कानून प्रणाली, राजनीतिक व्यवस्था और अन्य नियम हैं. विदेश मामले और रक्षा से जुड़े मामले चीन सरकार के पास है.