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घरेलू जूट कंपनियों को बचाने के लिए मोदी सरकार का बड़ा फैसला, बांग्लादेश पर होगा ये असर

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने कहा है कि उसने एक जनवरी 2017 की एक अधिसूचना में संशोधन करते हुए डम्पिंगरोधी शुल्क के दायरे में बांग्लादेश की कुछ और कंपनियों को शामिल करने की व्यवस्था की है.

Updated on: 14 Nov 2019, 03:02 PM

दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने घरेलू जूट कंपनियों को सस्ते आयात से संरक्षित करने के लिए बांग्लादेश से जूट के धागे और जूट की बोरी के आयात पर डम्पिंगरोधी शुल्क का दायरा बढ़ाते हुये और कंपनियों को इस शुल्क के दायरे में लिया है. एक अधिसूचना में, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने कहा है कि उसने एक जनवरी 2017 की एक अधिसूचना में संशोधन करते हुए डम्पिंगरोधी शुल्क के दायरे में बांग्लादेश की कुछ और कंपनियों को शामिल करने की व्यवस्था की है.

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वर्ष 2017 में पहली बार बांग्लादेश से आयातित जूट पर लगी थी एंटी डंपिंग ड्यूटी
यह शुल्क 97.19 डॉलर प्रति टन से 125.21 डॉलर प्रति टन के दायरे में हैं. वर्ष 2017 में पहली बार घरेलू कंपनियों की रक्षा करने के लिए बांग्लादेश से आने वाले जूट के धागे और जूट की बोरी के आयात पर डम्पिंगरोधी शुल्क लगाया गया था. डम्पिंगरोधी शुल्क किसी देश की खास कंपनियों पर लगाई जाती है. स्थानीय कंपनियों की शिकायत के आधार पर, व्यापार विवाद निदान महानिदेशालय, (पूर्ववर्ती डीजीएडी) ने वर्ष 2015 में इन उत्पादों के आयात की जांच शुरू की थी.

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जूट उद्योग में पश्चिम बंगाल का स्थान प्रमुख है, जहां इस क्षेत्र में साढ़े तीन से चार लाख लोग काम करते हैं. विभिन्न देश डंपिंग की यह पता लगाने के लिए जांच करते हैं कि सस्ते आयात में उछाल आने से उनके घरेलू उद्योगों को नुकसान तो नहीं पहुंचा है. एक निरोधक उपाय के रूप में, वे विश्व व्यापार संगठन के बहुपक्षीय व्यवस्था के तहत शुल्कों को लगाते हैं. डम्पिंगरोधी शुल्क का उद्देश्य निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करना तथा विदेशी उत्पादकों और निर्यातकों के संदर्भ में घरेलू उत्पादकों के लिए प्रतिस्पर्धा के समान स्तर को सुनिश्चित करना है.