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अमेरिका को भारत छोड़ देगा पीछे, 2034 में बन जाएगा दुनिया का सबसे बड़ा ई-कॉमर्स बाजार

भारत 2034 तक अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा ई-कॉमर्स बाजार बन जाएगा. यह कहना है विश्व की सबसे बड़ी पैकेज डिलिवरी एवं सप्लाई चेन मैनेजमेंट कम्पनी युनाइटेड पार्सल सर्विस (यूपीएस) के प्रबंध निदेशक (भारतीय उपमहाद्वीप) राशिद फागार्टी का.

Updated on: 09 Aug 2019, 07:39 PM

नई दिल्ली:

भारत 2034 तक अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे बड़ा ई-कॉमर्स बाजार बन जाएगा. यह कहना है विश्व की सबसे बड़ी पैकेज डिलिवरी एवं सप्लाई चेन मैनेजमेंट कम्पनी युनाइटेड पार्सल सर्विस (यूपीएस) के प्रबंध निदेशक (भारतीय उपमहाद्वीप) राशिद फागार्टी का. फागार्टी ने कहा कि भारत का ई-कॉमर्स बाजार बड़ी छलांग लगाने के लिए तैयार है. वर्ल्डपे की रिपोर्ट के अनुसार, 2034 तक यह अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया में सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा.

उन्होंने ने कहा, 'यूपीएस ने पल्स ऑफ द ऑनलाइन शॉपर्स नाम से एक शोध कराया है, जिससे यह नतीजा निकला है कि भारत आने वाले समय में दुनिया का सबसे बड़ा ई-कॉमर्स बाजार होगा. स्टडी द्वारा प्रमाणित है कि भारत में ग्राहक सर्विस की क्वालिटी को लेकर बेहद जागरूक हैं. परिणामस्वरूप, ऑनलाइन रिटेलर्स को कंज्यूमर ट्रेंड के अनुसार अपनी सप्लाई चेन को दुरुस्त करने की जरूरत है. यह परिवर्तन फुल सर्विस रिटर्न पालिसी के साथ ग्राहकों की संतुष्टि से ही संभव है.'

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उन्होंने कहा कि भारतीय शॉपर्स क्वालिटी के प्रति बहुत ज्यादा सचेत हैं और भारत में होने वाली दो तिहाई अंतर्राष्ट्रीय खरीदी केवल क्वालिटी के कारण होती हैं. उन्होंने कहा, 'आनलाईन शापर्स शुल्क में पारदर्शिता, डिलीवरी प्रक्रिया पर नियंत्रण, आसान रिटर्न और लॉयल्टी प्वाईंट्स चाहते हैं. सबसे खास बात यह है कि भारत में 96 प्रतिशत आनलाईन शॉपर्स मार्केटप्लेस का उपयोग कर चुके हैं और 56 प्रतिशत खरीदारी करने के बाद डिलीवरी की स्थिति ट्रैक करते हैं. यही नहीं, पिछले तीन माह में 36 प्रतिशत ने सामान वापस किया है और भारतीय शॉपर्स की रिटर्न की दर 68 प्रतिशत है, जो वैश्विक बाजार में सबसे अधिक है.'

फागार्टी ने कहा, 'यूपीएस पल्स ऑफ द ऑनलाईन शॉपर अध्ययन-2019 अमेरिका, एशिया, यूरोप, कनाडा, मैक्सिको, ब्राजील और पहली बार भारत सहित 15 देशों व क्षेत्रों में आनलाईन शॉपर्स के विकसित होते ट्रेंड्स, पसंद और अपेक्षाएं लिए हुए है. यह अध्ययन भारत में शॉपर्स के बारे में रोचक तथ्य प्रदर्शित करता है. भारतीय शॉपर्स क्वालिटी के प्रति बहुत ज्यादा जागरूक हैं, वो उत्पादों को फौरन रिटर्न कर देते हैं और शिकायत दर्ज कराने में भी बहुत सक्रिय हैं.'

रिपोर्ट के मुताबिक अपने वैश्विक साथियों के मुकाबले 53 प्रतिशत भारतीय शॉपर्स ने रिटेलर के बारे में शिकायत दर्ज कराने में अध्ययन का नेतृत्व किया और 30 प्रतिशत ने सोशल मीडिया पर नकारात्मक रिव्यू दिए, जबकि एशिया पैसिफिक में यह संख्या 25 प्रतिशत और अमेरिका में 22 प्रतिशत रही.

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उन्होंने कहा कि एक रोचक तथ्य यह भी है कि 90 प्रतिशत भारतीय ग्राहक सामान आनलाईन खरीदने से पहले उसके बारे में शोध करते हैं, जबकि युवा पीढ़ी अन्य ग्राहकों के रिव्यू से प्रभावित होती है. 95 प्रतिशत खरीदार खरीद करने से पहले समस्त शिपिंग शुल्क एवं टैक्स की गणना देखना चाहते हैं.

फागार्टी ने कहा, 'आनलाईन शापर्स महत्वपूर्ण और पुरस्कृत महसूस करना चाहते हैं. इसके परिणामस्वरूप पांच में से एक ग्राहक (19 प्रतिशत) के पास पांच से ज्यादा लॉयल्टी मेंबरशिप हैं. इनमें शामिल होने के कारणों में मुफ्त शिपिंग, मेंबर्स-ओनली डिस्काउंट और रिवॉर्ड प्वाइंट हैं. इसके अलावा शॉपर्स विकल्प व सुविधा चाहते हैं, लेकिन वो इसके लिए भुगतान करना नहीं चाहते. ग्राहक नैक्स्ट डे डिलीवरी चाहते हैं, लेकिन वो अन्य विकल्प, जैसे धीमी शिपिंग के लिए कम शुल्क या भुगतान करना भी चाहते हैं.'