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लड़ाकू विमान 'तेजस' बनाने वाली कंपनी HAL की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार, IPO लाने की तैयारी शुरू

केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचे जाने के फैसले पर मुहर लगा दी है।

Updated on: 01 Oct 2017, 05:08 PM

highlights

  • केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचे जाने के फैसले पर मुहर लगा दी है
  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड तेजस लड़ाकू विमान बनाती है जो पुराने पड़ रहे मिग-21 का स्थान लेगा

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचे जाने के फैसले पर मुहर लगा दी है।

रक्षा और एयरोस्पेस के क्षेत्र में काम करने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी ने आईपीओ लाने के लिए सेबी (सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के साथ काम करना शुरू कर दिया है।

एचएएल तेजस लड़ाकू विमान बनाती है जो पुराने पड़ रहे मिग-21 का स्थान लेगा।

आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निगम) की मदद से सरकार किसी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को बेचकर शेयर बाजार से पैसा जुटाती है।

मौजूदा वित्त वर्ष में विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए कई बड़ी सार्वजनिक कंपनियों की लिस्टिंग कराने की योजना बना चुकी मोदी सरकार के कार्यकाल में यह तीसरी कंपनी का आईपीओ है।

2017-18 में सरकार का विनिवेश लक्ष्य 72,500 करोड़ रुपये का है। इस लक्ष्य को पूरा करने में सरकार को सार्वजनिक कंपनियों की लिस्टिंग से करीब 20,000 करोड़ रुपये तक मिलने की उम्मीद है।

मौजूदा वित्त वर्ष में केंद्र सरकार अब आईपीओ की मदद से दो पीएसयू में अपनी हिस्सेदारी बेच चुकी है।

सफल रहा हुडको और कोचिन शिपयार्ड का IPO

इससे पहले सरकार हुडको और कोचिन शिपयार्ड का आईपीओ ला चुकी है। मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार करीब 10-12 पीएसयू कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचे जाने की योजना बना चुकी है। 

कोचिन शिपयार्ड में सरकार ने अपनी 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 1450 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई थी और कंपनी के आईपीओ को शानदार रेस्पॉन्स मिला था।

हालांकि कंपनी के शेयरों की लिस्टिंग मामूली रही थी। कोचिन शिपयार्ड का शेयर 1.9 फीसदी के हल्के प्रीमियम के साथ 440.15 रुपये पर लिस्ट हुआ जबकि लिस्टिंग के लिए कोचीन शिपयार्ड का इश्यू प्राइस 432 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था।

बीएसई में शुक्रवार को कंपनी के स्टॉक की कीमत 519.85 रुपये थी।

इससे पहले हडको भी शेयर बाजार में 21.5 फीसदी के शानदार प्रीमियम के साथ लिस्ट हुई थी। हुडको में अपनी हिस्सेदारी बेचकर सरकार ने 1,200 करोड़ रुपये जुटाए थे।

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हुडको और कोचिन शिपयार्ड के पहले आखिरी पीएसयू कंपनी की शेयर बाजार में लिस्टिंग मार्च 2012 में हुई थी। एनबीसीसी में सरकार ने अपनी 10 फीसदी हिस्सेदारी बेचकर 125 करोड़ रुपये जुटाए थे।

अन्य पीएसयू में भी हिस्सेदारी बेचेगी सरकार

फरवरी 2017 में डीआईपीएएम की तरफ से जारी दिशानिर्देशों के मुताबिक मुनाफा कमाने वाली पीएसयू को 6 महीने के भीतर शेयर बाजार में लिस्ट कराया जाना है।

डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (डीआईपीएएम) वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाली एजेंसी है जो केंद्र सरकार को  जो केंद्र सरकार को पीएसयू के पुनर्गठन और शेयर बाजार के जरिये पूंजी जुटाने के मामलों में सलाह देती है। 

एक अनुमान के मुताबिक जबरदस्त मुनाफा कमा रही करीब 100 से अधिक पीएसयू कंपनियां बाजार में लिस्टेड नहीं है। केंद्र सरकार की योजना इन कंपनियों को भी बाजार में लिस्ट कराने की है।

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