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पीएम मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक, आयकर लोकपाल जैसे पद खत्म

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आयकर लोकपाल और अप्रत्यक्ष कर लोकपाल जैसे पद को को खत्म करने की मंजूरी दे दी है

Updated on: 07 Feb 2019, 09:17 AM

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आयकल लोकपाल और अप्रत्यक्ष कर लोकपाल जैसे पद को को खत्म करने की मंजूरी दे दी है. चूंकि जनता की शिकायतों और उसके निपटारे के लिए वैकल्पिक समस्या निवारण तंत्र अब मौजूद है ऐसे में मौजूदा संस्था के समानांतर ऐसी कोई संस्था ज्यादा प्रभावी साबित नहीं हो सकती. इसलिए सरकार ने इसे खत्म करने का फैसला लिया है.

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आयकर से संबंधित जनता की शिकायतों के निपटारे के लिए साल 2003 में आयकर लोकपाल संस्थान की स्थापना की गई थी. हालांकि, लोकपाल संस्थान अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में पूरी तरह विफल रहा. इसके अलावा, कर दाताओं ने CPGRAMS (केंद्रीयकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली), आयकर सेवा केंद्र आदि जैसे शिकायत निवारण के वैकल्पिक तरीकों को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है जिसकी वजह से उन संस्थाओं की उपयोगिता न के बराबर रह गई थी. केंद्रीय कैबिनटे के फैसले में 2011 में अप्रत्यक्ष कर लोकपाल के खाली कार्यालयों को बंद करने का भी निर्णय लिया गया है.

आयकर विभाग ने कहा है कि उसने बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम के तहत अब तक 6,900 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं. एजेंसी ने मंगलवार को इस बारे में प्रमुख अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किया है. इसमें कहा गया है कि जो लोग बेनामी सौदे करते हैं, बेनामीदार (जिसके नाम पर बेनामी संपत्ति है) और लाभार्थी (जो इसके लिए पैसा देते हैं) पर अभियोजन चलाया जा सकता है और उन्हें सात साल तक की सजा हो सकती है. इसके अलावा उन्हें बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य पर 25 प्रतिशत तक जुर्माना भी देना पड़ सकता है. 

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विज्ञापन में कहा गया है कि आयकर विभाग पहले ही 6,900 करोड़ रुपये से ज्यादा की बेनामी संपत्तियां कुर्क कर चुका है. इसके अलावा इसमें कहा गया है कि जो लोग बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम के तहत अधिकारियों को गलत सूचना देते हैं, उन्हें पांच साल की सजा तथा बेनामी संपत्ति के उचित बाजार मूल्य का दस प्रतिशत तक जुर्माना अदा करना पड़ सकता है.