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70 सालों में देश की अर्थव्‍यवस्‍था सबसे बुरे दौर में, नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने चेताया

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि भारत ने पिछले 70 साल में ऐसी अभूतपूर्व स्थिति का सामना नहीं किया है. पूरी वित्तीय प्रणाली जोखिम में है और कोई किसी पर भरोसा नहीं कर रहा है.

Updated on: 23 Aug 2019, 12:04 PM

highlights

  • नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने वित्तीय प्रणाली को जोखिम में बताया.
  • इसके लिए 2009-14 के बीच बगैर सोचे-समझे बांटे गए कर्ज को जिम्मेदार ठहराया.
  • साथ ही भरोसा जताया कि सरकार और आरबीआई उचित समय पर उठाएगी सही कदम.

नई दिल्ली.:

आर्थिक विश्लेषकों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय विशेषज्ञों की मानें तो दुनिया पर एक बार फिर आर्थिक मंदी का साया मंडरा रहा है. इस बाबत आगाह करते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी शुक्रवार को कहा कि भारत ने पिछले 70 साल में ऐसी अभूतपूर्व स्थिति का सामना नहीं किया है. पूरी वित्तीय प्रणाली जोखिम में है और कोई किसी पर भरोसा नहीं कर रहा है. हालांकि उन्होंने यह भी भरोसा जताया कि सरकार उचित समय पर एक साथ कई कदम उठाएगी, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में नई जान फूंक उसे सरपट दौड़ाया जा सकेगा.

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2009-14 में बगैर सोचे-समझे कर्ज दिए गए
राजीव कुमार ने अर्थव्यवस्था में सुस्ती की स्थिति के लिए बगैर सोचे-समझे दिए गए कर्ज को ही जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि 2009-14 के दौरान बिना सोचे-समझे कर्ज दिए गए. इससे 2014 के बाद नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) बढ़ी है. इस कारण ही बैंकों की नया कर्ज देने की क्षमता कम हुई है. इस कमी की भरपाई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने की है. इनके कर्ज में 25 फीसदी की वृद्धि हुई. हालांकि उन्‍होंने ये भी कहा कि वित्तीय क्षेत्र में दबाव से निपटने और आर्थिक वृद्धि को गति के लिए केंद्रीय बजट में कुछ कदमों की घोषणा की जा चुकी है.

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कोई किसी पर भरोसा नहीं कर रहा
राजीव कुमार ने आगे कहा कि आज कोई किसी पर भी भरोसा नहीं कर रहा है. प्राइवेट सेक्टर के भीतर कोई भी कर्ज देने को तैयार नहीं है, हर कोई नगदी दबाकर बैठा है. इसके साथ ही राजीव कुमार ने सरकार को लीक से हटकर कुछ कदम उठाने की सलाह दी. राजीव कुमार के मुताबिक नोटबंदी, जीएसटी और आईबीसी (दीवालिया कानून) के बाद हालात बदल गए हैं. पहले करीब 35 फीसदी कैश उपलब्ध होता था, जो अब काफी कम हो गया है. इन सभी कारणों से स्थिति काफी जटिल हो गई है.