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मोदी सरकार जीडीपी (GDP) गणना के लिए नया आधार वर्ष लाएगी

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय अगले कुछ महीनों में जीडीपी गणना (GDP Growth Calculation) के लिए एक नए आधार वर्ष पर निर्णय लेगा.

Updated on: 06 Nov 2019, 09:17 AM

नई दिल्ली:

सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय अगले कुछ महीनों में जीडीपी गणना (GDP Growth Calculation) के लिए एक नए आधार वर्ष पर निर्णय लेगा और 2011-12 के मौजूदा आधार वर्ष के स्थान पर राष्ट्रीय अकाउंट्स के लिए एक नई श्रंखला लाने पर काम कर रहा है. मंत्रालय के सचिव प्रवीण श्रीवास्तव ने उद्योग चैंबर फिक्की द्वारा यहां आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि यद्यपि नए आधार वर्ष के रूप में 2017-18 पर विचार किया जा रहा है, लेकिन अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, क्योंकि विशेषज्ञों की समितियां अपनी राय को अंतिम रूप देने से पहले कुछ और आंकड़ों का इंतजार कर रही हैं.

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अगले कुछ महीने में लिया जाएगा आधार वर्ष बदलने का निर्णय
श्रीवास्तव ने कहा कि आधार वर्ष (जीडीपी का) बदलने का निर्णय अगले कुछ महीनों में लिया जाएगा. हम उद्योगों के वार्षिक सर्वे और उपभोक्ता व्यय सर्वे का इंतजार कर रहे हैं. सभी प्रारंभिक कार्य उसके लिए तैयार किए जा रहे हैं. परिणाम आते ही हम इसे संबंधित समितियों के समक्ष आधार वर्ष पर निर्णय लेने के लिए रखेंगे.

दक्षिण एशिया की आर्थिक वृद्धि में भारत का अहम योगदान रहेगा, IMF का बड़ा बयान

भारत की अगुवाई में दक्षिण एशिया (South Asia) वैश्विक वृद्धि का केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है और 2040 तक वृद्धि में इसका अकेले एक तिहाई योगदान हो सकता है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (International Monetary Fund-IMF) ने हालिया शोध में यह बात कही है. मुद्राकोष के भौगोलिक विभाजन में दक्षिण एशिया क्षेत्र में भारत, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान और मालदीव शामिल हैं. अफगानिस्तान और पाकिस्तान को इसमें जगह नहीं दी गई है. आईएमएफ के एक दस्तावेज ' क्या वृद्धि के लिए दक्षिण एशिया तैयार ? सतत एवं समावेश वृद्धि एजेंडा ' में कहा गया कि बुनियादी ढांचे में सुधार और युवा कार्यबल का सफलतापूर्वक लाभ उठाकर यह क्षेत्र 2040 तक वैश्विक वृद्धि में एक तिहाई योगदान दे सकता है.

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2030 तक 15 करोड़ से ज्यादा लोग श्रम बाजार में रखेंगें कदम

आईएमएफ की एशिया एवं प्रशांत विभाग की उप निदेशक एनी मेरी गुलडे वोल्फ के मुताबिक हम दक्षिण एशिया को वैश्विक वृद्धि केंद्र के रूप में आगे बढ़ता हुए देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकी रुझानों के आधार पर 2030 तक इस क्षेत्र के 15 करोड़ से ज्यादा लोगों के श्रम बाजार में कदम रखने की उम्मीद है. वोल्फ ने कहा कि हमारे पास एक क्षेत्र है जिसके पास काफी युवा आबादी है. इस क्षेत्र में हाल में अच्छी खासी तेजी देखी गई है. आईएमएफ ने अपने दस्तावेज में कहा कि रोजगार आधारित वृद्धि की मदद से यह युवा और व्यापक श्रमबल दक्षिण एशिया की ताकत बन सकता है. यह क्षेत्र अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों का संतुलित तरीके से लाभ उठा सकता है.