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मंदी का असरः मूडीज ने भारत की GDP ग्रोथ घटाई, अब 7.1 की जगह 6.2 प्रतिशत हुई; जानिए इसके पीछे की वजह

विश्व में छाई आर्थिक सुस्ती का असर अब भारत की अर्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है.

Updated on: 23 Aug 2019, 05:07 PM

नई दिल्ली:

विश्व में छाई आर्थिक सुस्ती का असर अब भारत की अर्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है. बड़ी रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody Investors Service) ने कैलेंडर वर्ष 2019 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.2 प्रतिशत कर दिया है. इसे पहले 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था. वहीं, अगस्त की शुरुआत में रेटिंग एजेंसी CRISIL ने 2019-20 (FY20) के ग्रोथ एस्टिमेट में संशोधन करते हुए इसे 6.9 प्रतिशत बताया था, जबकि उससे पहले इसे 7.1 आंका गया था.

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अगस्त में द्विमासिक मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू में आरबीआई (RBI) ने भी 2019-20 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट को घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया था, जोकि पहले सात फीसदी थी. इसीलिए मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने आर्थिक ग्रोथ का अनुमान घटाया. इसके तहत कैलेंडर वर्ष 2020 के लिए भी वृद्धि दर के अनुमान को 0.6 प्रतिशत घटाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है. इसके पहले 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने अपने बयान में कहा है कि कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था से एशियाई एक्सपोर्ट प्रभावित हुआ है. साथ ही अनिश्चित वातावरण की वजह से भी निवेश पर असर पड़ा है.

दो दिन पहले नोमुरा ने आर्थिक ग्रोथ का अनुमान घटाया था. इसके तहत जापान की बड़ी रेटिंग एजेंसी नोमुरा के मुताबिक, देश की आर्थिक वृद्धि इस साल जून तिमाही में 5.7 फीसदी पर रहने का अनुमान है. कंपनी ने अपने रिसर्च नोट में कहा, वित्त वर्ष 2018-19 में अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त होकर 6.8 फीसदी पर आ गई.

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यह 2014-15 के बाद का निम्न स्तर है. नोमुरा के अनुसार, हमारा अनुमान है कि जीडीपी वृद्धि मार्च के 5.8 फीसदी से घटकर जून तिमाही में 5.7 फीसदी पर रह जाएगी. सितंबर तिमाही (तीसरी तिमाही) में यह बढ़कर 6.4 फीसदी हो जाएगी. उसके बाद की तिमाही में जीडीपी वृद्धि की रफ्तार 6.7 फीसदी रहने की उम्मीद है.