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2020-21 में 2 फीसदी घट सकती है भारत की GDP ग्रोथ, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा का बड़ा बयान

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) अब सात से आठ तिमाहियों के लिए गिरावट की ओर है और यह गिरावट कोरोना वायरस महामारी से बहुत पहले शुरू हो गई थी.

Updated on: 28 Mar 2020, 09:53 AM

दिल्ली:

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने कहा है कि कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी और 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के चलते अगले वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर (GDP Growth Rate) में 2 प्रतिशत तक गिरावट की आशंका है. सिन्हा ने एक साक्षात्कार में कहा कि भारत पहले ही भारी बेरोजगारी (Unemployment) का सामना कर रहा है और इस महामारी ने संकट और बढ़ा दिया है.

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अभी 5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है भारत

उन्होंने कहा कि मेरा खुद का अनुमान है कि 21 दिन तक देशव्यापी बंद को लागू करने से जीडीपी (GDP) में कम से कम एक प्रतिशत की कमी आएगी और अगर आप बंद से पहले कोरोना वायरस महामारी के चलते पैदा हुई समस्याओं और भविष्य की अनिश्चिताओं को संज्ञान में लें तो फिर 2020-21 की वृद्धि दर में दो प्रतिशत गिरावट की आशंका है. पिछले कुछ वर्षों में मोदी सरकार (Modi Government) की नीतियों को लेकर काफी मुखर रहे सिन्हा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) अब सात से आठ तिमाहियों के लिए गिरावट की ओर है और यह गिरावट कोरोना वायरस महामारी से बहुत पहले शुरू हो गई थी. उन्होंने कहा कि अगर हम गरीबी को प्रभावी ढंग से कम करना चाहते हैं तो हमें कम से कम आठ प्रतिशत की दर से बढ़ना होगा, इसकी तुलना में हम पांच प्रतिशत की दर से बढ़ रहे हैं.

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वित्तीय घाटा में होगी 1 फीसदी की बढ़ोतरी

वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के 1.7 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज (Relief Package) के बारे में सिन्हा ने कहा कि इसकी लागत 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगी, जिसका अर्थ है कि सरकार का वित्तीय घाटा एक प्रतिशत बढ़ जाएगा. उन्होंने कहा कि यह सरकार के वित्त पर दबाव डालेगा, जिसका अर्थ है कि सरकार के पास निवेश के लिए कम पैसा बचेगा. इसलिए, यह एक बहुत ही गंभीर स्थिति है और संकट पर काबू पाने के लिए हमें सभी प्रकार के नए उपायों की आवश्यकता है. सरकार ने गुरुवार को 1.7 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी, जिसमें गरीबों को तीन महीने के लिए मुफ्त खाद्यान्न और रसोई गैस देना शामिल है. इसके अलावा महिलाओं और गरीब वरिष्ठ नागरिकों को नकद राशि दी जाएगी.

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यह पूछे जाने पर कि मौजूदा परिस्थितियों में क्या भारत 2024-25 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है, उन्होंने कहा कि किसी भी मामले में यह संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में भी हम भारत को 2030 या 2032 तक 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था नहीं बना पायेंगे. अब इस महामारी जिसका प्रभाव पूरी दुनिया पर है, हमें अपना लक्ष्य आगे खिसकाना होगा.