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अर्थव्‍यवस्‍था पर चौतरफा आलोचना के बीच मोदी सरकार के लिए आई राहत भरी यह बड़ी खबर

एक अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसी की रिपोर्ट में उम्‍मीद जताई गई है कि भारत 2026 में जर्मनी को पछाड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2034 में जापान को पीछे छोड़कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है.

Updated on: 30 Dec 2019, 09:54 AM

नई दिल्‍ली:

अर्थव्‍यवस्‍था में गिरावट को लेकर चौतरफा घिरी मोदी सरकार के लिए यह खबर किसी मरहम से कम नहीं है. एक अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसी की रिपोर्ट में उम्‍मीद जताई गई है कि भारत 2026 में जर्मनी को पछाड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2034 में जापान को पीछे छोड़कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत 2026 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है. हालांकि, सरकार ने देश को 2024 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया है. ब्रिटेन स्थित सेंटर फोर इकोनॉमिक्स एंड बिजनेस रिसर्च (CEBR) की रिपोर्ट वर्ल्ड इकोनॉमिक लीग टेबल 2020 के अनुसार भारत 2019 में ब्रिटेन और फ्रांस दोनों को निर्णायक तौर पर पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया. अब भारत के 2026 में जर्मनी को पीछे छोड़कर चौथी तथा 2034 में जापान को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने का अनुमान है.

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एशियाई विकास बैंक (Asian Developement Bank-ADB) ने भारत के वृद्धि दर अनुमान को संशोधित कर वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए 5.1 फीसदी कर दिया है. इससे पहले एडीबी ने 6.5 फीसदी का अनुमान जाहिर किया था. इसके अलावा उसने अगले वित्त वर्ष 2020-21 के अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है. एडीबी ने एक बयान में कहा, "भारत में वृद्धि कम हुई है, ऐसा क्रेडिट की कमी और घरेलू मांग के कमजोर होने से हुआ है. यह चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के आर्थिक अनुमान के नीचे जाने का एक और संशोधन है.

बता दें कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank-RBI) ने हाल ही जारी क्रेडिट पॉलिसी (Credit Policy) में वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है. इससे पहले अक्टूबर में RBI ने रियल GDP ग्रोथ 6.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया था. केंद्रीय बैंक ने कहा कि जुलाई-सितंबर की जीडीपी वृद्धि, अनुमान से काफी कम हो गई है और विभिन्न संकेतक बताते हैं कि घरेलू और बाहरी मांग की स्थिति कमजोर बनी हुई है. दूसरी तिमाही में विकास दर छह साल के निचले स्तर 4.5 फीसदी पर आ गई.

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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का कहना है कि निवेश और खपत कम होने और कर राजस्व में कमी की वजह से भारत की आर्थिक विकास दर को बड़ा झटका लगा है. आईएमएफ की एशिया और प्रशांत (IMF Asia and Pacific Department) की हेड रानिल सालगाडो (Ranil Salgado) के मुताबिक भारत को मौजूदा आर्थिक मंदी को दूर करने के लिए और आर्थिक ग्रोथ को वापस पटरी पर लाने के लिए जल्द से जल्द नीतिगत उपाय (Monetary Steps) करने की जरूरत है. उनका कहना है कि फिलहाल भारत सरकार के पास विकास पर खर्च के जरिए अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने जैसे बेहद सीमित विकल्प रह गए हैं.

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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) 20 जनवरी 2020 को नई रिपोर्ट जारी करेगा. IMF की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 की दिसंबर और मार्च तिमाही के दौरान भारत की विकास दर कमजोर रह सकती है. उनका कहना है कि पहले हमने चालू वित्त वर्ष की बाकी 2 तिमाही में तेजी का अनुमान लगाया था. हालांकि अब रिकवरी के संकेत नहीं दिख रहे हैं. मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए पुराने अनुमान को बदल दिया है.