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Flashback 2019: मोदी 2.0 के लिए अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर चुनौतीपूर्ण रहा 2019

Flashback 2019: 2019 में ऑटो सेक्टर, टेक्सटाइल, FMCG समेत कई बड़े सेक्टर में मंदी का साया देखने को मिला. इसके अलावा बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरकर सामने आई.

Updated on: 19 Dec 2019, 05:40 PM

नई दिल्ली:

Flashback 2019: 2019 को खत्म होने में कुछ ही दिन बचे हुए हैं. अगर 2019 को ध्यान से देखें तो अर्थव्यवस्था (Economy) के मोर्चे पर यह काफी खराब साल रहा है. 2019 में लोकसभा चुनाव की वजह से 2 बार बजट पेश किया गया. बता दें कि साल की शुरुआत में वित्त मंत्री अरुण जेटली एक्टिव थे, लेकिन लोकसभा चुनाव से ऐन वक्त पहले उनकी तबियत खराब होने की वजह से 1 फरवरी 2019 को पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट को पेश किया. लोकसभा चुनाव के बाद वित्त मंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण ने पदभार संभाला.

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2019 में कई सेक्टर में रहा मंदी का साया
2019 में ऑटो सेक्टर, टेक्सटाइल, FMCG समेत कई बड़े सेक्टर में मंदी का साया देखने को मिला. इसके अलावा बेरोजगारी भी एक बड़ी समस्या बनकर उभरकर सामने आई. विपक्ष ने आर्थिक मंदी और बेरोजगारी के मुद्दे पर लगातार सरकार को अपना निशाना बनाया. आज की इस रिपोर्ट में हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि आर्थिक मोर्चे पर 2019 कैसा रहा है.

देश की जीडीपी (GDP) 6 साल के निचले स्तर पर पहुंची
2019 में देश की जीडीपी 6 साल के निचले स्तर पहुंच गई है. चालू वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाह में जीडीपी लुढ़ककर 4.5 फीसदी के स्तर पर आ गई है. जानकारों का कहना है कि जीडीपी का यह आंकड़ा पिछले 6 साल में किसी एक तिमाही में आने वाला सबसे खराब आंकड़ा है. बता दें कि रिजर्व बैंक (Reserve Bank) ने वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है. आंकड़ों के मुताबिक कोर सेक्टर में भी 8 साल के निचले स्तर पर गिरावट दर्ज की जा रही है.

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दुनिया के बड़े ऑर्गनाइजेशन ने भी घटाई ग्रोथ रेट
बता दें कि दुनिया की बड़ी रेटिंग एजेंसियों और बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ को घटा दिया है. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के अपने अनुमान को 5.8 फीसदी से घटाकर 4.9 फीसदी कर दिया है. वहीं सिंगापुर की वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी डीबीएस बैंकिंग समूह (DBS Bank) ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर (GDP Growth Rate) का अनुमान 5.5 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है. एशियाई विकास बैंक (Asian Developement Bank-ADB) ने भारत के वृद्धि दर अनुमान को संशोधित कर वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए 5.1 फीसदी कर दिया है. इससे पहले एडीबी ने 6.5 फीसदी का अनुमान जाहिर किया था.

सरकार के लक्ष्य से काफी दूर है जीएसटी कलेक्शन

ड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) कलेक्शन के मोर्चे पर मोदी सरकार के नवंबर महीने का कुल कलेक्शन 1,03,492 रुपये रहा है. जिसमें से सीजीएसटी (CGST) यानी की केंद्र का जीएसटी कुल 19,592 करोड़ रुपये रहा है और एसजीएसटी यानी राज्यों का 27,144 करोड़ रुपये रहा है जबकि आजीएसटी (IGST) 49,028 करोड़ रुपये का रहा है. इसी के साथ सेस से कुल कमाई 7,727 करोड़ रुपये रहा था. बता दें कि सरकार का जीएसटी कलेक्शन अभी सरकार द्वारा तय किए गए लक्ष्य से करीब 40 फीसदी पीछे है.

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टैक्स कलेक्शन में भी निराशाजनक रहा 2019
चालू वित्त वर्ष (1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020) में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन लक्ष्य के मुकाबले 50 फीसदी कम दर्ज किया गया है. CBDT के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2019 में सरकार का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन करीब 6 लाख करोड़ रुपये रहा है, जबकि सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए 13.5 फीसदी टैक्स कलेक्शन का लक्ष्य तय रखा है. ऐसे में बचे हुए आंकड़े को हासिल करने के लिए अगले 4 महीने में सरकार को करीब 7.5 लाख करोड़ रुपये जुटाना होगा.

राजकोषीय घाटा भी बढ़ गया
चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीने यानि अप्रैल से अक्टूबर के दौरान राजकोषीय घाटा भी तय किए गए लक्ष्य से अधिक हो गया है. इन सात महीने के दौरान राजकोषीय घाटा 100.32 अरब डॉलर रहा है, जो कि बजट में तय किए गए लक्ष्य का 102.4 फीसदी है.

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अर्थव्यवस्था पर आम लोगों का भरोसा घटा
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक देश की अर्थव्यवस्था के ऊपर कंज्यूमर का कॉन्फिडेंस घट गया है. नवंबर के दौरान देश का कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (CCI) 5 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है. बता दें कि नरेंद्र मोदी के दोबारा सत्ता में आने के बाद कंज्यूमर कॉन्फिडेंस का आंकड़ा सबसे निचले स्तर पर है. वहीं शेयर मार्केट की बात करें तो सिर्फ यही एक क्षेत्र है जहां से सकारात्मक खबरे आई हैं. सेंसेक्स और निफ्टी अभी रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं, लेकिन एक बात गौर करने वाली है कि शेयर बाजार में अभी भी स्मालकैप और मिडकैप शेयर अपने उच्चतम स्तर से काफी नीचे हैं.

रेलवे की कमाई 10 साल में सबसे कम
केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के पिछले और मौजूदा कार्यकाल में रेलवे (Indian Railway) की कमाई घट गई है. रेलवे की कमाई 10 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है. नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो 10 साल में सबसे खराब दर्ज किया गया था. रिपोर्ट के अनुसार रेलवे ने 1-2 रुपये की कमाई के लिए 98.44 रुपये का खर्च किया था.

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मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए उठाए कई कदम
भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मोदी सरकार ने कई कदम उठाए. सरकार ने बैंकों की सेहत सुधारने के लिए 10 सरकारी बैंकों का विलय कर 4 बड़े बैंक बनाने की घोषणा वर्ष 2019 में की थी. इसके अलावा निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का ऐलान भी किया था. कंपनियों के लिए नया कॉर्पोरेट टैक्स 25.17 फीसदी तय कर दिया गया है. सरचार्ज और सेस के साथ कॉर्पोरेट टैक्स 25.17 फीसदी लगेगा. इसके अलावा सरकार ने MAT को भी खत्म कर दिया था. सरकार ने कैपिटल गेन पर लगने वाले सरचार्ज को खत्म कर दिया है.